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पवित्रता पर उद्धरण

जीवन के पवित्र रूप में विश्वास करो।

जैक केरुआक

मैं स्वर्ग के पार उड़ गया और भगवान को काम करते हुए देखा। मैंने पवित्र कष्ट सही।

हरमन हेस

अगर हम अपनी वर्तमान स्थिति में सफल नहीं हो सकते तो किसी अन्य स्थिति में भी नहीं हो सकेंगे। अगर हम कमल की तरह कीचड़ में भी पवित्र और दृढ़ नहीं रह सकते तो हम कहीं भी रहें, नैतिक दृष्टि से कमज़ोर ही साबित होंगे।

हेलेन केलर

तुममें भारती अतीत का नारी-रत्न खोज रही है, जिसमें सत्य की पवित्र, ज्योति, चरित्र की महान महिमा प्रकाशित है |

नलिनीबाला देवी

नवयुग की ज्योति को जो एक बार देख लेता है, उसी को वह पवित्र बनाती हुई जलाने लगती हैं।

मैक्सिम गोर्की

मेघ वर्षा करते समय यह नहीं देखता कि वह भूमि उपजाऊ है या ऊसर। वह दोनों को समान रूप से सींचता है। गंगा का पवित्र जल उत्तम और अधम का विचार किए बिना सबकी प्यास बुझाता है।

संत तुकाराम

पवित्र नदियाँ, बिना स्नान किए, अपने दर्शनमात्र से ही दर्शक का मन पवित्र कर देती हैं।

कवि कर्णपूर
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जो बात शुद्ध अर्थशास्त्र के विरुद्ध हो, वह अहिंसा नहीं हो सकती। जिसमें परमार्थ है वही अर्थशास्त्र शुद्ध है। अहिंसा का व्यापार घाटे का व्यापार नहीं होता।

महात्मा गांधी

तुम अपनी पत्नी की आबरू की रक्षा करना, और उसके मालिक मत बन बैठना, उसके सच्चे मित्र बनना। तुम उसका शरीर और आत्मा वैसे ही पवित्र मानना, जैसे कि वह तुम्हारा मानेगी।

महात्मा गांधी

हम ध्यान द्वारा शुद्ध और सूक्ष्म हुए मन से परमात्मा के स्वरूप का अनुभव तो कर सकते हैं, किंतु वाणी द्वारा उसका वर्णन नहीं कर सकते, क्योंकि मन के द्वारा ही मानसिक विषय का ग्रहण हो सकता है और ज्ञान के द्वारा ही ज्ञेय को जाना जा सकता है।

वेदव्यास

जीवन-शुद्धि और जीवन-समृद्धि यही हमारा आदर्श हो।

काका कालेलकर

जिसने पर ब्रह्म का साक्षात्कार कर लिया, उसके लिए सारा जगत नंदनवन है, सब वृक्ष कल्पवृक्ष हैं, सब जल गंगाजल है, उसकी सारी क्रियाएँ पवित्र हैं, उसकी वाणी चाहे प्राकृत हो या संस्कृत-वेद का सार है, उसके लिए सारी पृथ्वी काशी है और उसकी सारी चेष्टाएँ परमात्मामयी है।

आदि शंकराचार्य

पवित्रता संप्रदायगत नहीं होती। ठीक कर्मों वाले मनुष्य का धर्म-ग्रंथ ग़लत नहीं हो सकता।

डोरिस लेसिंग

पार्वती और गंगा हमारे अस्तित्व का ही मेरुदंड है। हमारे भीतर और बाहर जो कुछ उत्तम है, जो कुछ सुंदर है, जो कुछ पवित्र है, उसको प्रतीक रूप में पार्वती और गंगा व्यक्त करती हैं।

हजारीप्रसाद द्विवेदी

मैं इस जगत् का माता, पिता, धारणकर्ता, पितामह, ज्ञेय, पवित्र वस्तु, ओंकार, ऋग्वेद, सामवेद और यजुर्वेद हूँ। मैं अंतिम गति, पोषणकर्ता, स्वामी, साक्षी, निवासस्थान, शरण जाने योग्य, मित्र, उत्पत्तिकर्ता, लयकर्ता, मध्य की अवस्थिति, भंडार और अविनाशी बीज हूँ।

वेदव्यास

संवेदनशील बनो परंतु निर्मल भी। प्रेमी बनो परंतु पवित्र भी।

लॉर्ड बायरन

सोने की शुद्धि या मिलावट अग्नि में ही देखी जाती है।

कालिदास
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तुम बर्फ़ के समान विशुद्ध रहो और हिम के समान पवित्र, तो भी लोकनिंदा से नहीं बचोगे।

विलियम शेक्सपियर

जब तक देश में पवित्रता नहीं आती तब तक बल नहीं आता।

सरदार पूर्ण सिंह
  • संबंधित विषय : देश

शुचिता निर्भीक होती है और भलाई कभी नहीं डरती।

विलियम शेक्सपियर
  • संबंधित विषय : डर

'मैं पतित हूँ', यह बात मेरी वाणी कहती है, परंतु मन नहीं कहता। अतः आप भी मुझे पवित्र नहीं करते। हे अच्युत! मैं मिथ्याचारी सत्याचरण करूँ, इतनी कृपा कीजिए।

दयाराम

अपनी पवित्रता के संबंध में सज्जनों का चित्त ही साक्षी है।

श्रीहर्ष

शुद्धता का अर्थ सत्य नहीं है।

हेनरी मातीस
  • संबंधित विषय : सच

सांस्कृतिक रूप से शुद्ध होना असंभव है।

ओल्गा तोकार्चुक