पत्नी पर उद्धरण
प्रस्तुत है कवि-पत्नी,
पत्नियों को समर्पित और कविता में पत्नियाँ विषयक कविताओं का एक अनूठा चयन।

स्त्रियों को तर्कसंगत प्राणी और स्वतंत्र नागरिक बनाएँ, और अगर पुरुष पतियों और पिता के कर्त्तव्यों की उपेक्षा नहीं करते हैं तो वे जल्द ही अच्छी पत्नियाँ बन जाएँगी।

सहस्रों माता-पिता और सैकड़ों पुत्र व पत्नियाँ युग-युग में हुए। सदैव के लिए वे किसके हुए और आप किसके हैं?

जिसकी पत्नी पतिव्रता है, पति को प्राणों से भी अधिक प्यार करने वाली है तथा पति के ही हित में संलग्न है, वह पुरुष इस पृथ्वी पर धन्य है।

समस्या हमेशा बच्चों की माँ या मंत्री की पत्नी होने में और—कभी भी—जो हो वह नहीं होने में होती है।

सीता जैसी पत्नीत्व का आदर्श है, वैसे ही वह कौमार्य का भी आदर्श है। पर मेरा आदर्श तो है कि स्त्रियाँ विवाहित होते हुए भी कुमारिका का जीवन बिताएँ। सीता और पार्वती आदि इन दोनों आदर्शों तक पहुँच चुकी थीं।

तुम अपनी पत्नी की आबरू की रक्षा करना, और उसके मालिक मत बन बैठना, उसके सच्चे मित्र बनना। तुम उसका शरीर और आत्मा वैसे ही पवित्र मानना, जैसे कि वह तुम्हारा मानेगी।

प्रायः गृहस्थ जन कन्या संबंधी बातों में अपनी पत्नियों को नेत्र मानकर कार्य करते हैं।

पत्नी का रिश्ता फूल को तोड़कर अपने पास रख लेने का था। पेड़ में खिले फूल-जैसा रिश्ता कहीं नहीं दिखता था।





जब मैं वापस चीन लौटा (अमेरिका से), मेरे पास न तो अमेरिकी पासपोर्ट था, न ही पत्नी थी और न ही यूनिवर्सिटी की कोई डिग्री। चीनी समाज के हिसाब से मैं बिल्कुल असफल था।
