
जो रात बीत गई है, वह फिर नहीं लौटती, जैसे जल से भरे हुए समुद्र की ओर यमुना जाती ही है, उधर से लौटती नहीं।

समस्त सिद्धियों की हेतु यमुना को मैं प्रणाम करता हूँ।
जो रात बीत गई है, वह फिर नहीं लौटती, जैसे जल से भरे हुए समुद्र की ओर यमुना जाती ही है, उधर से लौटती नहीं।
समस्त सिद्धियों की हेतु यमुना को मैं प्रणाम करता हूँ।