Font by Mehr Nastaliq Web

वर्तमान पर उद्धरण

आज की दुनिया में जिस हद तक शोषण बढ़ा हुआ है; जिस हद तक भूख और प्यास बढ़ी हुई है, उसी हद तक मुक्ति-संघर्ष भी बढ़ा हुआ है और उसी हद तक बुद्धि तथा हृदय की भूख-प्यास भी बढ़ी हुई है। आज के युग में साहित्य का यह कार्य है कि वह जनता के बुद्धि तथा हृदय की इस भूख-प्यास का चित्रण करे और उसे मुक्तिपथ पर अग्रसर करने के लिए ऐसी कला का विकास करे, जिससे जनता प्रेरणा प्राप्त कर सके और जो स्वयं जनता से प्रेरणा ले सके।

गजानन माधव मुक्तिबोध

अतीत के बिना कोई कला नहीं होती है, किंतु वर्तमान के बिना भी कोई कला जीवित नहीं रहती है, यह भी ठीक है।

अवनींद्रनाथ ठाकुर

प्रेम नाम का कोई शाश्वत सूत्र नहीं है जो जीवन भर अपनी उपस्थिति का यक़ीन दिलाता रहे।

रघुवीर चौधरी

मुझे अपने अतीत से प्यार है। मुझे अपने वर्तमान से प्यार है। जो मेरे पास था उसमें मुझे शर्म नहीं थी, और मैं इस बात से दुखी नहीं हूँ कि अब वह मेरे पास नहीं है।

कोलेट

आज के साथ कल का नाड़ी का संबंध है।

अवनींद्रनाथ ठाकुर

मौन निकटता की भावना लाता है। जैसे ही बात खुलती है, तीसरी उपस्थिति की मानो चेतावनी आती है।

रघुवीर चौधरी

जितना आप प्रकट होते हैं और जहाँ आप प्रकट होते हैं, अपने आप पर उतना ही और केवल वहीं विश्वास करें। जो देखा नहीं जा सकता, फिर भी अस्तित्व में है, सर्वत्र है और शाश्वत है। आख़िरकार हम वही हैं।

रघुवीर चौधरी

प्रत्येक परीकथा वर्तमान सीमाओं को पार करने की क्षमता प्रदान करती है, इसलिए एक अर्थ में परीकथा आपको वह स्वतंत्रता प्रदान करती है, जिसे वास्तविकता अस्वीकार करती है।

अज़र नफ़ीसी

मनुष्य की उपस्थिति में रेगिस्तान आभासी हो जाता है।

रघुवीर चौधरी

एकांत : रूप की प्यारी-सी अनुपस्थिति।

मिलान कुंदेरा

आप जहाँ हैं, वहाँ आप नहीं हैं।

रघुवीर चौधरी

मैंने एक दिन बाज़ार में एक कुम्हार को देखा जो मिट्टी के टुकड़े को अपने पैरों से रौंद रहा था। वह मिट्टी अपनी जिह्वा से उससे यह शब्द कह रही थी—कभी मैं भी तेरी तरह मनुष्य के रूप में थी और मुझमें भी ये सब बातें वर्तमान थीं।

उमर ख़य्याम

साहित्यकारों की श्रेष्ठ चेष्टा केवल वर्तमान काल के लिए नहीं होती, चिरकाल का मनुष्य-समाज ही उनका लक्ष्य होता है।

रवींद्रनाथ टैगोर

मैं वर्तमान में एकांतवासी हूँ और कुछ नहीं करती, सिवाय लिखने और पढ़ने और पढ़ने और लिखने के।

कैथरीन मैंसफ़ील्ड

डर की उपस्थिति को स्वीकार करना विफलता को जन्म देना है।

कैथरीन मैंसफ़ील्ड
  • संबंधित विषय : डर

हम अबाध रूप से, कालक्रम से नहीं बढ़ते हैं। हम कभी-कभी असमान रूप से एक पहलू में आगे बढ़ते हैं, दूसरे में नहीं। हम थोड़ा-थोड़ा करके बढ़ते हैं। हम तुलनात्मक रूप से आगे बढ़ते हैं। हम एक क्षेत्र में परिपक्व हैं, दूसरे में बचकाने। अतीत, वर्तमान और भविष्य मिलकर हमें पीछे धकेलते हैं, आगे बढ़ाते हैं या हमें वर्तमान में स्थिर कर देते हैं। हम परतों, कोशिकाओं, ज्योति पुंजों से मिलकर बने हैं।

अनाइस नीन

हम कहीं नहीं हैं, अगर हम कहीं नहीं हैं तो हम हर जगह हैं।

रघुवीर चौधरी

बढ़िया काम करने के लिए अनिवार्य है कि हम नॉस्टेल्जिया को पराजित करें—समय में कहीं और रहने की अस्पष्ट इच्छा को परास्त करें और वर्तमान को पकड़ कर रखें, और वर्तमान का पकड़ में आना मुश्किल है। जब हम उसकी तरफ़ हाथ बढ़ाते हैं, हमारी समस्याएँ हमें कहीं और अतीत में या भविष्य में खींच ले जाती हैं। काम क्षणों को परिपक्व करने का एक तरीक़ा है—उन्हें गुरुता प्रदान करने का एक ढंग। काम के ज़रिए हम वर्तमान को टिकाऊपन की दावत देते हैं। अपने काम के ज़रिए वर्तमान को ग्रहण करो और फिर देखो, तुम्हारा काम हमेशा वर्तमान रहेगा।

हुआन रामोन हिमेनेज़

आप जिस वर्तमान का निर्माण कर रहे हैं, उसे ध्यान से देखें : वह उस भविष्य की तरह दिखना चाहिए जिसका आप सपना देख रहे हैं।

एलिस वॉकर

आध्यात्मिक गृहस्थी में हमें कल के कारण आज के बारे में नहीं सोचना चाहिए।

रवींद्रनाथ टैगोर

हम ईश्वर की उपस्थिति को अनदेखा कर सकते हैं, लेकिन कहीं भी उनसे बच नहीं सकते हैं। वह दुनिया में हमेशा विद्यमान हैं। वह हर जगह गुप्त रूप से चलते हैं।

सी. एस. लुईस

तूफ़ानों में भी एक किस्म की शांति उपस्थित है।

विन्सेंट वॉन गॉग

आइए, विस्मरण का सम्मान करें, विस्मरण की विलक्षणताएँ—जो हमें चिंतन की अनुमति देती हैं, हर दूसरी चीज़ से अलग, वर्तमान की अद्वितीयता।

हुआन रामोन हिमेनेज़

अगर हम अपनी वर्तमान स्थिति में सफल नहीं हो सकते तो किसी अन्य स्थिति में भी नहीं हो सकेंगे। अगर हम कमल की तरह कीचड़ में भी पवित्र और दृढ़ नहीं रह सकते तो हम कहीं भी रहें, नैतिक दृष्टि से कमज़ोर ही साबित होंगे।

हेलेन केलर

वर्तमान में रहो!

कोलेट

अतीत सुखों के लिए सोच क्यों, अनागत भविष्य के लिए भय क्यों, और वर्तमान को मैं अपने अनुकूल बना ही लूँगा, फिर चिंता किस बात की?

जयशंकर प्रसाद

इतिहास का प्रयोजन वर्तमान समय और उसके अनुसार कर्तव्य को महत्त्व देना है।

राल्फ़ वाल्डो इमर्सन

स्मृति अतीत-विषयक होती है। मति भविष्य-विषयक होती है। बुद्धि वर्तमान विषयक होती है। प्रज्ञा त्रिकाल-विषयक होती है। नवनवोन्मेषशालिनी प्रज्ञा को प्रतिभा कहते हैं।

अभिनवगुप्त

परंपराएँ अतीत को वर्तमान और वर्तमान को भविष्य से जोड़ती हैं। उनके माध्यम से सामाजिक जीवन को निरंतरता मिलती है, और उसका स्वरूप निर्धारित होता है।

श्यामाचरण दुबे

स्कूल में हर दौर का नाम होता था। हम जिस दौर में भागे जा रहे हैं, उसे क्या नाम दें—यह सवाल समाजशास्त्रीय दृष्टि से बड़ा महत्व रखता है। सरकारी लोग और आम समाज वैज्ञानिक इसे आधुनिकीकरण का नाम देते हैं।

कृष्ण कुमार

कोई भी विचारधारा मात्र एक बौद्धिक उपादान है—यथार्थ के स्वरूप, उसकी गतिविधि, उसकी वर्तमान अवस्था, उसकी दिशा को जानने का।

गजानन माधव मुक्तिबोध

वर्तमान हमें अंधा बनाए रहता है, अतीत बीच-बीच में हमारी आँखें खोलता रहता है।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

वर्तमान जगत् में उपन्यासों की बड़ी शक्ति है। समाज जो रूप पकड़ रहा है, उसके भिन्न-भिन्न वर्गों में जो प्रवृत्तियाँ उत्पन्न हो रही हैं, उपन्यास उनका विस्तृत प्रत्यक्षीकरण ही नहीं करते, आवश्यकतानुसार उनके ठीक विन्यास, सुधार अथवा निराकरण की प्रवृत्ति भी उत्पन्न कर सकते हैं।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

समाज की जड़ें अतीत में होती हैं, वह वर्तमान में जीता है और भविष्य उसके लिए चिंता और प्रावधान का विषय होता है।

श्यामाचरण दुबे

मौजूदा जनतंत्रात्मक प्रणाली द्वंद्व-प्रणाली है।

गजानन माधव मुक्तिबोध

पूर्व और नूतन का जहाँ मेल होता है, वहीं उच्च संस्कृति की उपजाऊ भूमि है।

वासुदेवशरण अग्रवाल

कल जो पंडितों के लिए अगम्य था, आज उसमें आधुनिक बालक के लिए भी नया कुछ नहीं है।

रवींद्रनाथ टैगोर

हम भूत और भविष्य को देखते हैं और जो नहीं है उसकी कामना करते हैं। हमारा निष्कपट हास्य भी किसी वेदना से युक्त होता है।

शंकर शैलेंद्र

जहाँ शब्दों से काम चल सकता था, वहाँ गोली और बम चलाने में संकोच करना इस युग का धर्म है।

कृष्ण कुमार

भारत में वर्ग-संघर्ष होने का कारण यह है कि अपने वर्ग-चरित्र का सबने त्याग कर दिया है, और वर्तमान व्यवस्था में सबके निहित स्वार्थ फँसे हुए हैं।

राजेंद्र माथुर

वर्तमान समय में मनुष्य की अभिव्यंजना-शक्ति इतनी अधिक विकसित हो गई है कि वह अपने मस्तिष्क-पट पर बाह्य सृष्टि के जिन छायाचित्रों को ग्रहण करता है, उन्हें अनायास ही व्यक्त करने में समर्थ होता है।

श्यामसुंदर दास

वर्तमान का और भविष्य का लाज़िमी तौर से भूतकाल में जन्म होता है और उन पर उसकी छाप होती है। इसको भूल जाने के मानी हैं, इमारत को बिना बुनियाद के खड़ा करना और क़ौमी तरक़्क़ी की जड़ को ही काट देना।

जवाहरलाल नेहरू

एक सैनिक यह चिंता कब करता है कि उसके बाद उसके काम का क्या होगा? वह तो अपने वर्तमान कर्त्तव्य की ही चिंता करता है।

महात्मा गांधी

वर्तमान युग की पेचीदा समस्याओं को प्राचीन पद्धतियों और सूत्रों का प्रयोग कर समझने का प्रयत्न करना, और उनके बारे में बीते हुए ज़माने की भाषा का प्रयोग करना—उलझन पैदा करना और असफलता को निमंत्रित करना है; क्योंकि उस ज़माने में ये समस्याएँ पैदा ही नहीं हुई थीं।

जवाहरलाल नेहरू

अतीत वर्तमान के लिए अनिवार्य रूप से ज़रूरी है।

जवाहरलाल नेहरू

अतीत में सक्रियता को आशावाद के साथ जोड़ा गया था, जबकि आज सक्रियतावाद के लिए निराशावाद की आवश्यकता है।

विक्टर ई. फ्रैंकल

समझदार मनुष्य वर्तमान को पिछली घटनाओं के आधार पर आँकते हैं।

सोफोक्लीज़

आज आसान नहीं है, कल और भी मुश्किल है, लेकिन परसों लाजवाब है।

साइमन गिलहम

केवल वर्तमान के क्षणिक पहलुओं में ही सारी संभावनाएँ होती है।

विक्टर ई. फ्रैंकल

स्मृति एक जाल है—शुद्ध और सरल। यह बदलती है, यह अतीत को वर्तमान के अनुरूप करने के लिए उसे सूक्ष्मता से पुनर्व्यवस्थित करती है।

मारियो वार्गास ल्योसा