सफलता पर कविताएँ

सफलता-असफलता जीवन-प्रसंगों

से संबद्ध एक प्रमुख विषय है। समाज ने सफलता-असफलता के कई मानदंड तय कर रखे हैं जो इहलौकिक भी हैं और आध्यात्मिक-दार्शनिक भी। कविताओं में भी इस विषय पर पर्याप्त अभिव्यक्तियाँ पाई जाती हैं।

अंतिम ऊँचाई

कुँवर नारायण

अटूट क्रम

कुँवर नारायण

नर हो, न निराश करो मन को

मैथिलीशरण गुप्त

पहाड़ पर चढ़ने के लिए

पद्मजा घोरपड़े

अगर तुम युवा हो

शशिप्रकाश

वैसे ही चलना दूभर था

मुकुट बिहारी सरोज

संतुलन

सौरभ राय

उड़ान

अंकुर मिश्र

तुम अपने ही पंख सँवारो

कृष्ण मुरारी पहारिया

सफल आदमी

भगवत रावत

अंतिम खिलाड़ी

हेमंत कुकरेती

असफलता के मौन क्षणों में

कृष्ण मुरारी पहारिया

या

शैलेय

टाई

हरि मृदुल

उतना ही इंकार

हरि मृदुल

उत्तर का अंतिम अक्षर

मुकुट बिहारी सरोज

लपक गई

मुकुंद लाठ

जिस क्षण

पद्मजा घोरपड़े

पानी

परमेंद्र सिंह

वसंतसेना

श्रीकांत वर्मा

असफलता की पहचान

ऋतु कुमार ऋतु

तुम और मैं

कन्हैयालाल सेठिया

असफल आदमी

विशाल श्रीवास्तव

रहस्य-9

सोमेश शुक्ल

इस ऊँचाई पर

सुमित त्रिपाठी

नभ पर एक सुनहली रेखा खींचो

कृष्ण मुरारी पहारिया

कहाँ

अंकुश कुमार

गिरना और गिराना

गोविंद माथुर

बड़े कवि से मिलना

अच्युतानंद मिश्र

जीत

नरेश अग्रवाल

लक्ष्य

राकेश मिश्र

स्वभाव

कन्हैयालाल सेठिया

नाकामयाब

शंभु यादव

अंधी दौड़ कभी पूरी नहीं होती

संतोष कुमार चतुर्वेदी

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