
सच्ची मित्रता के नियम इस सूत्र में अभिव्यक्त हैं- आने वाले अतिथि का स्वागत करो और जाने वाले अतिथि को जल्दी विदा करो।

जब मैं भाषा के माध्यम से विचार करता हूँ तो मौखिक अभिव्यक्तियों के अतिरिक्त मेरे मन में कोई दूसरे ‘अर्थ’ नहीं होते : भाषा तो स्वयं ही विचार की वाहक होती है।

जीवन के बारे में सभी विचार कठोर हैं, क्योंकि जीवन कठोर है। मैं इस बात से दुखी हूँ, लेकिन इसे बदल नहीं सकती।

हर ख़याल कविता नहीं है, लेकिन ख़याल तो है।

विचार के साथ और विचार के बिना बोलने की तुलना संगीत को विचार के साथ, और विचार के बिना बजाने से ही करनी चाहिए।

हम सिर्फ़ उस व्यक्ति से ईर्ष्या कर सकते हैं जिसके पास ऐसा कुछ है जिसे हमारे विचार से हमारे पास होना चाहिए।

स्त्रियों को सरकार के विचार-विमर्श में बिना किसी प्रत्यक्ष हिस्सेदारी के मनमाने ढंग से शासित किए जाने के बजाय उनके प्रतिनिधि सरकार में होने चाहिए।

अगर मुझे इसे स्वीकार करना चुनना पड़े, तो मेरा लक्ष्य यह है कि मैं वास्तव में जो हूँ उसे स्वीकार कर लूँ। मैं अपने विचारों, अपने रंग-रूप, अपने गुणों, अपनी ख़ामियों पर गर्व कर सकूँ, और इस हमेशा की चिंता को रोक सकूँ कि मैं जैसी हूँ, मुझसे उसी रूप में प्यार नहीं किया जा सकता है।

‘गहरी’ और कच्ची नींद में भेद की तरह ही गहरे और उथले विचारों में भेद होता है।

मेरे लेखन का कोई वाक्य ही कभी-कभार विचार को आगे की ओर बढ़ाता है; बाक़ी वाक्य तो नाई की क़ैंची के समान हैं जिसे वह लगातार इसलिए चलाता रहता है, जिससे सही क्षण पर वह बाल काट सके।

मेरे विचार से लेखक वह है, जिसकी दिलचस्पी हर चीज़ में है।

कोई विचार ख़तरनाक नहीं है, सोचना ख़ुद में ही ख़तरनाक है।

पुरुषों के प्रति स्त्रियों का हृदय, प्रायः विषम और प्रतिकूल रहता है। जब लोग कहते हैं कि वे एक आँख से रोती हैं तो दूसरी से हँसती हैं, तब कोई भूल नहीं करते। हाँ, यह बात दूसरी है कि पुरुषों के इस विचार में व्यंग्यपूर्ण दृष्टिकोण का अंश है।

महत्त्वाकांक्षा तो विचार की मृत्यु है।

आपका जीवन कभी वैसे नहीं रहा जैसा आप सोचते हैं, और यह अच्छी बात नहीं है। केवल वे विचार ही मूल्यवान हैं जिन्हें हम वास्तव में जीते हैं।

मेरे विचारों का दायरा संभवतः मेरी अपेक्षा से कहीं अधिक सँकरा है।

साहस और धृष्टता से कहे गए मिथ्या विचार से भी बहुत लाभ होता है।

मैं नर्क की तुलना में पुनर्जन्म में विश्वास करती हूँ। अगर लौटने का विकल्प हो, तब पुनर्जन्म का विचार और भी अधिक सहनीय हो जाता है।

हमें नायकों की खोज में नहीं रहना चाहिए। हमें अच्छे विचारों की खोज में रहना चाहिए।

समय केवल एक विचार है। हमारे पास केवल सत्य है। आप जो सोचते हैं, वह प्रकट हो जाता है। अगर आप समय कहें, तो यह समय है।


हमें सत्य को स्वीकार करना चाहिए, भले ही वह हमें हैरान कर दे और हमारे विचारों को बदल दे।

हृदय में दूषित विचार का आना भी दोष ही है।

हर महँगे विचार के दामन में बहुत से सस्ते विचार भी होते हैं, उनमें बहुत से उपयोगी भी होते हैं।

विचारहीनता और बुराई के बीच अजीब परस्पर निर्भरता है।

वे शासक जो युद्ध छेड़ना चाहते हैं, वे इस बात से भली-भाँति परिचित हैं कि उन्हें पहला पीड़ित जुटाना या गढ़ना होगा।

जब मन अपने ही बारे में अनुसंधान करना बंद कर देता है तो जान लेता है कि मन जैसी कोई वस्तु नहीं है। यही सबके लिए सीधी राह है।

विचारों की खेती एक बात है, उस खेती को काटना दूसरी बात।

मन केवल विचार है। सभी विचारों में, केवल ‘मैं’ का विचार ही मूल है। इस तरह मन केवल ‘मैं’ का विचार ही है। ‘मैं’ का विचार कब पैदा होता है? इसे अपने भीतर तलाश करो, तो ये ओझल हो जाता है। यह बुद्धि है। जहाँ से ‘मैं’ का लोप होता है, वहीं से ‘मैं-मैं’ का जन्म होता है। यही पूर्णम है।

बुदबुदों के समान विचार भी धीरे-धीरे सतह तक पहुँचते हैं।

इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि कोई विचार कितना नया है : फ़र्क़ इस बात से पड़ता है कि वह कितना नया बन पाता है।

विचारहीन लोग धर्मग्रंथों को उसी प्रकार बाँचते रहते हैं, जिस प्रकार पिंजरे में तोता राम-राम की रट लगाता है।

भली भाँति मनन किए हुए विचार ही जीवनरूपी सर्वोच्च परीक्षा में व्यवहृत एवं परीक्षित होकर धर्म बन जाते हैं।

भीड़ की सतही कार्यवाहियों की अपेक्षा, कला और साहित्य राष्ट्र की आत्मा को महान अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। वे हमें शांति और निरभ्र विचार के राज्य में ले जाते हैं, जो क्षणिक भावनाओं और पूर्वाग्रह से प्रभावित नहीं होते।

कवि की दृष्टि तो सौंदर्य की ओर जाती है, चाहे वह जहाँ हो वस्तुओं के रूप-रंग में अथवा मनुष्यों के मन, वचन और कर्म में।

कला का कार्य किसी विचार को अतिरंजित करना है।

जो कर्म के फल का विचार न कर केवल कर्म की ओर दौड़ता हैं, वह उसका फल मिलने के समय उसी प्रकार शोक करता है जैसे ढाक का वृक्ष सींचने वाला करता है।

आनंदमय आत्मा की उपलब्धि विकल्पात्मक विचारों और तर्कों से नहीं हो सकती।

मेरे विचार में तो पीड़क होने से पीड़ित होना कहीं श्रेष्ठ है। धन खोकर अगर हम अपनी आत्मा को पा सकें, तो यह कोई महँगा सौदा नहीं है।

स्वयं अपने विचार पर विश्वास करना, जो तुम्हारे अपने व्यक्तिगत हृदय में तुम्हारे लिए सत्य है, उस पर विश्वास करना कि वह सबके लिए सत्य है—यही प्रतिभा है।

गुणशीलता, तात्कालिक परिस्थिति तथा भविष्य का विचार करके शीघ्रता तथा दीर्घसूत्रता दोनों को छोड़कर, देश-काल के अनुकूल अपना कार्य करना चाहिए।

लोग हमेशा की तरह सपने देखते, लड़ते और सोते रहे… और आदतन उन्होंने अपने विचारों को छोटा कर लिया, ताकि वे कल के बाद अँधेरे में न भटकें।

तार्किक जिस प्रकार श्रोता को अपनी विचार-पद्धति पर लाना चाहता है उसी प्रकार कवि अपनी भाव-पद्धति पर।

प्रसिद्धि के इच्छुक, विचार शून्यता के कारण सब ओर दौड़ते हुए मूर्ख लोग पक्षी की तरह ही उपहास योग्य होते

व्यवहार में लाए जाने पर महान विचार ही महान कर्म बन जाते हैं।

हमारे विचार या आदर्श अमर होंगे, हमारे भाव जाति की स्मृति से कभी नहीं मिटेंगे, भविष्य में हमारे वंशधर की हमारी कल्पनाओं के उत्तराधिकारी बनेंगे, इस विश्वास के साथ मैं दीर्घ काल तक समस्त विपदाओं और अत्याचारों को हँसते हुए सहन कर सकूँगा।

जो अपने लिए विचार करता है और कदाचित ही अनुकरण करता है, वह स्वतंत्र व्यक्ति है।

प्रत्येक नवीन दिन एक नवीन जीवन का आरंभ है जिसमें मनुष्य नए विचार और कार्य नूतन विवेक और उत्साह से कर सकता है।

हम सभी कम या अधिक अभिमतों के दास हैं।

आध्यात्मिक अनुभव विचार से भी अधिक गहरे होते हैं।
संबंधित विषय
- अतिथि
- अँधेरा
- अनुभव
- अभिव्यक्ति
- आज़ादी
- आत्म
- आत्मा
- आनंदमय
- इच्छा
- ईर्ष्या
- उपलब्धियां
- कर्म
- कल्पना
- कला
- कवि
- कविता
- केश
- ख़तरनाक
- ग़ुलामी
- घर
- चिड़िया
- चीज़ें
- जन्म
- जीवन
- दुख
- दर्द
- द्वंद्व
- दिल
- धर्म
- नींद
- पेड़
- पुनर्जन्म
- प्रेम
- पुरुष
- पुस्तक
- भविष्य
- भाषा
- भीड़
- मृत्यु
- मनुष्य
- मूर्ख
- रंग
- राष्ट्र
- व्यक्ति
- विचार
- विश्वास
- शब्द
- शांति
- सच
- स्त्री
- स्वप्न
- स्वीकृति
- सांत्वना
- साहस
- साहित्य
- सौंदर्य