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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

14 जुलाई 2025

‘हिन्दवी : ‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’-2025 की लॉन्ग-लिस्ट’

‘हिन्दवी : ‘ऑल इंडिया कैंपस कविता’-2025 की लॉन्ग-लिस्ट’

‘हिन्दवी’ ने अपने प्रयोगधर्मी व्यवहार के प्रकाश में—वर्ष 2022 के सिंतबर में—‘हिन्दवी कैंपस कविता’ की शुरुआत की थी। यह शुरुआत इलाहाबाद विश्वविद्यालय [हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग] के साथ हुई। इस

13 जुलाई 2025

बिंदुघाटी : वाचालता एक भयानक बीमारी बन चुकी है

बिंदुघाटी : वाचालता एक भयानक बीमारी बन चुकी है

• संभवतः संसार की सारी परंपराओं के रूपक-संसार में नाविक और चरवाहे की व्याप्ति बहुत अधिक है। गीति-काव्यों, नाटकों और दार्शनिक चर्चाओं में इन्हें महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।  आधुनिक समाज-विज्ञान

11 जुलाई 2025

आज़ाद और खुले कैंपस में क़ैद लड़की

आज़ाद और खुले कैंपस में क़ैद लड़की

मेरा कैंपस (हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय) सुंदर है। यहाँ मन बहलाने और दिल लगाने को काफ़ी कुछ है—ऊँची-ऊँची इमारतें हैं, वूमन और मेंस हॉस्टल हैं, हर कोने में जीवन का कोई न कोई रंग बिखरा हुआ है। मेंस

10 जुलाई 2025

8 A.M. Metro : अर्थ भरी अदायगी

8 A.M. Metro : अर्थ भरी अदायगी

गुलशन देवैया और सैयामी खेर अभिनीत फ़िल्म ‘8 A.M. Metro’ हाल-फ़िलहाल की प्रचलित व्यावसायिक फ़िल्मों से अलग श्रेणी में आती है। अगर फ़िल्म की विषयवस्तु देखें तो आप इसे ‘लंच बॉक्स’ और ‘थ्री ऑफ़ अस’ की पर

09 जुलाई 2025

मैं वीगन क्यों नहीं हूँ!

मैं वीगन क्यों नहीं हूँ!

सड़क पर भीख माँगते किसी व्यक्ति से कभी पूछियेगा कि गाली सुनने के बाद उसे कैसा लगता है? फिर यही ख़ुद से पूछियेगा। दोनों सवालों के जवाबों में जो अंतर आए, उससे इस समाज का अंतर आपको पता लग जाएगा। आप पेट भर

09 जुलाई 2025

गुरु दत्त : कुछ कविताएँ

गुरु दत्त : कुछ कविताएँ

क्या तलाश है, कुछ पता नहीं* वह पीता रहा अपनी ज़िंदगी को एक सिगरेट की तरह तापता रहा अपनी उम्र को एक अलाव की तरह और हम ढूँढ़ते हैं उस राख के क़तरे तलाशते हैं उसके बेचैन होंठों की थरथराहट उसकी

08 जुलाई 2025

काँदनागीत : आँसुओं का गीत

काँदनागीत : आँसुओं का गीत

“स्त्रियों की बात सुनने का समय किसके पास है? स्त्रियाँ भी स्त्रियों की बात नहीं सुनना चाहतीं—ख़ासकर तब, जब वह उनके दुख-दर्द का बयान हो!” मैंने उनकी आँखों की ओर देखा। उनमें गहरा, काला अँधेरा जमा था,

07 जुलाई 2025

हथेलियों में बारिश भरती माँ

हथेलियों में बारिश भरती माँ

इलाहाबाद उस दिन मेघों से आच्छादित रहा। कुछ देर तक मूसलाधार फिर रुक-रुक कर बारिश होती रही। मैं अपने कमरे में बैठा अमरूद के पेड़ पर गिर रही बूँदों को देख रहा था। देखते हुए स्मृतियों की बूँदें मेरे मन प

06 जुलाई 2025

कवियों के क़िस्से वाया AI

कवियों के क़िस्से वाया AI

साहित्य सम्मेलन का छोटा-सा हॉल खचाखच भरा हुआ था। मंच पर हिंदी साहित्य के दो दिग्गज विराजमान थे—सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और तत्कालीन नई पीढ़ी के लेखक निर्मल वर्मा। सामने बैठे श्रोताओं की आँखों में चमक

05 जुलाई 2025

सब जानते हैं, इल्म से है ज़िंदगी की रूह… पर AI से?

सब जानते हैं, इल्म से है ज़िंदगी की रूह… पर AI से?

तीसरी कड़ी से आगे... भाषा और विचार भाषा और विचार के संबंध में फिलॉसफी में एक पुराना और गहरा सवाल है। क्या हम भाषा के बिना सोच सकते हैं? और क्या AI, जो भाषा को इतनी कुशलता से प्रोसेस करता है, अस

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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