साहित्य और संस्कृति की घड़ी
27 अप्रैल 2025
• विषयक—‘‘इसमें बहुत कुछ समा सकता है।’’ इस सिलसिले की शुरुआत इस पतित-विपथित वाक्य से हुई। इसके बाद सब कुछ वाहवाही और तबाही की तरफ़ ले जाने वाला था। • एक बिंदु भर समझे गए विवेक को और बिंदु दिए गए।
चमत्कार घटित होते हैं। एक दिन अप्रत्याशित ढंग से उसके काँधे पर एक कोमल और प्रेमिल स्पर्श इस क़दर हल्का आकर उतरता है कि उसके काँधे हमेशा के लिए उचक जाते हैं। वह स्पर्श ताउम्र उसके जीवन में एक फूल ब
22 अप्रैल 2025
पहली कड़ी से आगे... इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था। दोपहर हो गई थी। बिस्तर मेरे भार से दबा हुआ था। मुझे उसे दबाएँ रखने की आज की मियाद पूरी हो गई थी। वह बिस्तर ओवरटाइम काम कर रहा था। जब उसे लगा कि मै
21 अप्रैल 2025
बरस 1947 है, तारीख़ 14 अगस्त, दिन गुरुवार, रात का समय। जब जवाहरलाल नेहरू अपना चुस्त पजामा और शेरवानी पहन रहे थे, संसद में देने वाले थे अपना ऐतिहासिक वक्तव्य। उसी वक़्त मेरे परदादा खेत के मुँडेर
20 अप्रैल 2025
• गत सौ-सवा वर्षों की हिंदी कविता पर अगर एक सरसरी तब्सिरा किया जाए और यह जाँचने-जानने के यत्न में संलग्न हुआ जाए कि हमारी हिंदी दूसरी भाषाओं में उपस्थित सृजन के प्रति कितनी खुली हुई है; तब यह तथ्य एक
मैं आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, इस कार्यक्रम के आयोजकों और नियामकों का जिन्होंने मुझे आपके रूबरू होने का, कुछ बातें कर पाने का मौक़ा दिया। मेरे लिए यह मौक़ा असाधारण तो नहीं, लेकिन कुछ दुर्लभ ज़रूर है। ल
एक मैं उन दुखों की तरफ़ लौटती रही हूँ, जिनके पीछे-पीछे सुख के लौट आने की उम्मीद बँधी होती है। यह कुछ ऐसा ही है कि जैसे समंदर का भार कछुओं ने अपनी पीठ पर उठा रखा हो और मछली के रोने से एक नदी फूट पड़े
हिन्दवी कैंपस कविता—‘हिन्दवी’ का एक विशेष आयोजन है। इस आयोजन के माध्यम से देश के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों के साथ-सहयोग से वहाँ के छात्रों को साहित्य-सृजन के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाता
दूसरी कड़ी से आगे... उन दिनों अमूमन सर्दी-गर्मी की छुट्टियाँ ननिहाल में बीतती थी। नाना को साहित्य, संगीत, गीत से प्रेम है। उनके इस प्रेम का शिकार मामा-मौसी के बाद सबसे अधिक हम और भाई हुए। ठंड की भ
रात की बारिश रात के चौथे पहर से बारिश का आख़िरी टुकड़ा लटक रहा है लैम्पपोस्ट पर क़ायम हुई थकन पत्तियों पर चमकती गीली रौशनी एक गुज़रती गाड़ी सड़क पर जमा पानी के चिरते चले जाने की आवाज़ रात की बारिश