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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

22 नवम्बर 2025

‘व्यंग्य : लाख काम छोड़कर बिहार जाना चाहिए’

‘व्यंग्य : लाख काम छोड़कर बिहार जाना चाहिए’

(डिसक्लेमर : मैं जन्मना बिहारी, कर्म से झारखंडी, मन से भारतीय और असंभव विश्व नागरिकता प्राप्त करने का आकांक्षी हूँ। इतने पर भी कोई शंका करे तो तुलसीदास के शब्दों में वह मुझसे भी अधिक जड़मति रंका है।)

21 नवम्बर 2025

दक्षिण भारत : कुछ यात्राओं का अंत नहीं होता…

दक्षिण भारत : कुछ यात्राओं का अंत नहीं होता…

क़रीब तीस साल पहले जब मैं मुंबई में पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत थी, तब एक बार सिटी प्रोफ़ाइल करने के वास्ते बैंगलोर (वर्तमान में बेंगलुरु) और मैसूर जाना हुआ था। मुंबई से बैंगलोर की वह फ़्लाइट त

20 नवम्बर 2025

‘जागरण कनेक्ट’ और  ‘हिन्दवी’ के विशेष आयोजन ‘उत्सव हिन्दी का’ की लॉन्ग-लिस्ट

‘जागरण कनेक्ट’ और ‘हिन्दवी’ के विशेष आयोजन ‘उत्सव हिन्दी का’ की लॉन्ग-लिस्ट

बीते हिंदी दिवस पर ‘जागरण कनेक्ट’ और ‘हिन्दवी’ ने मिलकर ‘उत्सव हिन्दी का’ अभियान की शुरुआत की थी। देश भर से प्राप्त 1050 प्रविष्टियों ने इस आयोजन को नई ऊर्जा दी और हिंदी भाषा के प्रति युवा प्रतिभाओं

18 नवम्बर 2025

मार्गरेट एटवुड : मर्द डरते हैं कि औरतें उनका मज़ाक़ उड़ाएँगीं

मार्गरेट एटवुड : मर्द डरते हैं कि औरतें उनका मज़ाक़ उड़ाएँगीं

Men are afraid that women will laugh at them. Women are afraid that men will kill them. मार्गरेट एटवुड का मशहूर जुमला—मर्द डरते हैं कि औरतें उनका मज़ाक़ उड़ाएँगीं; औरतें डरती हैं कि मर्द उन्हें क़त्ल

17 नवम्बर 2025

नई कविता और संवाद का दूसरा पड़ाव

नई कविता और संवाद का दूसरा पड़ाव

‘नई कविता’ के अनेक आयामों पर विभिन्न दृष्टिकोणों से बहस होने के बाद भी इसमें लगातार कुछ नए की तलाश बनी रहती है। इसके केंद्र में ‘मुक्तिबोध’ या ‘अज्ञेय’ की बाइनरी को भी प्रश्नांकित किया जाता रहेगा। इस

16 नवम्बर 2025

दिसंबर में होगा कोच्चि–मुज़िरिस बिएनाले का छठा संस्करण

दिसंबर में होगा कोच्चि–मुज़िरिस बिएनाले का छठा संस्करण

भारत की सर्वाधिक प्रतिष्ठित और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त समकालीन कला प्रदर्शनी कोच्चि–मुज़िरिस बिएनाले (Kochi-Muziris Biennale) का छठा संस्करण 12 दिसंबर, 2025 से केरल के ऐतिहासिक समुद्री

15 नवम्बर 2025

प्रतिउत्तर : ‘नाकर्दा गुनाहों की भी हसरत की मिले दाद’

प्रतिउत्तर : ‘नाकर्दा गुनाहों की भी हसरत की मिले दाद’

शिवमूर्ति जी ने ‘अगम बहै दरियाव’ पर मेरी आलोचना देखकर एक प्रतिलेख लिखा है और ग़ालिब की यह मनःकामना मेरे हित में पूरी कर दी : नाकर्दा गुनाहों की भी हसरत की मिले दाद या रब! अगर इन कर्दा गुनाहों क

15 नवम्बर 2025

प्रतिलेख : ‘अगम बहै दरियाव’ पर वागीश शुक्ल की आलोचना के बारे में कुछ तथ्य

प्रतिलेख : ‘अगम बहै दरियाव’ पर वागीश शुक्ल की आलोचना के बारे में कुछ तथ्य

गत 6 अक्टूबर को ‘बेला’ पर ‘अगम बहै दरियाव’ (शिवमूर्ति, राजकमल प्रकाशन, द्वितीय संस्करण : 2024, पृष्ठ 560-561) पर वागीश शुक्ल का एक आलोचनात्मक आलेख प्रकाशित हुआ। इसे पढ़कर शिवमूर्ति ने अपना पक्ष रखा है

15 नवम्बर 2025

प्रतीक और बिंब का गुम्फित होना

प्रतीक और बिंब का गुम्फित होना

इस आलेख-शृंखला से संबंधित दो आलेख—अनुभूति की शुद्धता का सवाल और महान् कविताओं के बिंब कैसे होते हैं!—आप पहले पढ़ चुके हैं। अब पढ़िए यह तीसरा आलेख : आज बड़ी शानदार सुबह थी। यूनिवर्सिटी की सड़क बारिश

14 नवम्बर 2025

अँगूठा मेहनत कर रहा है, दिमाग़ आराम!

अँगूठा मेहनत कर रहा है, दिमाग़ आराम!

सड़क के किनारे फ़ुटपाथ पर लेटा बूढ़ा व्यक्ति लगातार खाँस रहा है। बग़ल में बैठा जवान बेटा हथेली पर खैनी ठोंकते हुए खाना बनने का इंतज़ार कर रहा है। चेस-नुमा शरीर के साथ अधनंगा एक छोटा बच्चा खेल रहा है।