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भलाई पर उद्धरण

अहं का स्वभाव होता है अपनी ओर खींचना, और आत्मा का स्वभाव होता है बाहर की तरफ़ देना—इसलिए दोनों के जुड़ जाने से एक भयंकर जटिलता की सृष्टि हो जाती है।

रवींद्रनाथ टैगोर

सबकी भलाई में हमारी भलाई निहित है।

महात्मा गांधी

हम एक-दूसरे का भलाई में मुक़ाबला करें तो हम सब ऊँचे होकर काम कर सकते हैं।

महात्मा गांधी

ईश्वर मुझे काफ़ी सेहत और विवेक दे जिससे मैं मानव जाति की सेवा कर सकूँ।

महात्मा गांधी

यदि आपका दृष्टिकोण अच्छा है, तो प्रतिक्रिया भी अच्छी मिलेगी। अगर दृष्टिकोण ग़लत है, तो प्रतिक्रिया भी ग़लत ही मिलेगी।

जवाहरलाल नेहरू

जो सुखकर हैं उन्हें प्रणाम करो और जो दु:खकर हैं उन्हें भी प्रणाम करो, ऐसा होने पर ही तुम स्वास्थ्य लाभ करोगे, शक्ति लाभ करोगे—जो शिव हैं, जो शिवकर हैं, उन्हें ही प्रणाम करना होगा।

रवींद्रनाथ टैगोर

दुनिया के जितने धर्म हैं वे सब अच्छे हैं, क्योंकि वे भलाई सिखाते हैं। जो दुश्मनी सिखाते हैं, उनको मैं धर्म नहीं मानता।

महात्मा गांधी

टेढ़े रास्तें से सीधी बातको नहीं पहुँचा जा सकता।

महात्मा गांधी

कबीर जिस लोकधर्म का विकास कर रहे थे, उसका मुख्य लक्ष्य है मानुष सत्य या मनुष्यत्व का विकास।

मैनेजर पांडेय

रामकृष्ण परमहंस ने भिन्न-भिन्न धर्मों की साधना स्वयं करके, सब धर्मों की एकरूपता प्रत्यक्ष कर ली। तुकराम ने अपनी उपासना के सिवा दूसरे किसी की भी उपासना करते हुए भी, सारी उपासनाओं का सार जान लिया। जो स्वधर्म का निष्ठा से आचरण करेगा, उसे स्वभावतः ही दूसरे धर्मों के लिए आदर रहेगा।

महात्मा गांधी

संत और भक्त कवि, लोकमंगल की भावना से प्रेरित और लोकमंगल की साधना के कवि थे।

मैनेजर पांडेय

अहिंसा को ठीक रूप में अपनाने में हमारी ही नहीं, संसार की भलाई है।

महात्मा गांधी

आत्मीय बनें, दयालु बनें। प्रेम करें।

रूमी

क्या दुनिया पारस्परिकता पर चलती है? इसका मतलब है कि आप जो अच्छे कर्म करेंगे, वह आपके साथ होगा और जो बुरे कर्म करेंगे—वह भी आपके साथ होगा।

शम्स तबरेज़

अच्छे काम के प्रति आदर और बुरे के प्रति तिरस्कार होना ही चाहिए। भले-बुरे काम करने वालों के प्रति सदा आदर अथवा दया रहनी चाहिए।

महात्मा गांधी

दया अथवा क्रोध परमात्मा को ही शोभा देता है। मनुष्य की भलाई केवल धैर्य धारण करने और ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकाश करने में ही है।

शम्स तबरेज़

जो लोग छोटे हैं उनकी दृष्टि केवल इसी बात पर पड़ती है कि कामना के आघात से मनुष्य बार-बार नीचे गिरता है। केवल महापुरुष ही यह बात देख सकते हैं कि सत्य के आकर्षण से मनुष्य पाशविकता से मनुष्यत्व की ओर अग्रसर हो रहा है। इसलिए वही मनुष्य को बार-बार निर्भयता से क्षमा कर सकते हैं, वही मनुष्य के लिए आशा कर सकते हैं, वही मनुष्य को सबसे बड़ा सत्य सुना सकते हैं, वही मनुष्य को बड़े-से-बड़ा अधिकार देने में नहीं हिचकते।

रवींद्रनाथ टैगोर

स्वदेशी व्रत केवल स्वदेशाभिमान के विचार में से नही उपजा है, बल्कि धर्म के विचार में से उपजा है।

महात्मा गांधी

राम और रावण के बीच की भारी लड़ाई में, राम भलाई की ताक़तों के प्रतीक थे और रावण बुराई की ताक़तों का। राम ने रावण पर विजय पाई, और इस विजय से हिंदुस्तान में रामराज्य क़ायम हुआ।

महात्मा गांधी

अच्छा करने वाले के मन में स्वार्थ नहीं रहता। वह जल्दी नहीं करेगा। वह जानता है कि आदमी पर अच्छी बात का असर डालने में बहुत समय लगता है।

महात्मा गांधी

मैंने ध्यानपूर्वक प्रत्येक बात के तत्त्व को समझ लिया है—गाँठें सेवा करने की निशानी हैं।

शम्स तबरेज़

मेरा दर्द हो सकता है कि किसी की हँसी का कारण बने, लेकिन मेरी हँसी कभी किसी के दर्द का कारण नहीं बननी चाहिए।

चार्ली चैप्लिन

अहिंसा का साधक केवल प्राणियों को उद्वेग पहुँचाने वाली वाणी और कर्म बोल करके अथवा मन में भी उनके प्रति द्वेषभाव आने देकर संतोष नहीं मानता, बल्कि जगत में फैले हुए दुःखों को देखने और उनके उपायों का ध्यान धरने का प्रयत्न करता रहेगा, और दूसरों के सुख के लिए स्वयं प्रसन्नता से कष्ट सहेगा।

महात्मा गांधी

जब मैं अच्छा करता हूँ तो मुझे अच्छा महसूस होता है। जब ग़लत करता हूँ तो बुरा महसूस होता है—यही मेरा धर्म है।

अब्राहम लिंकन

चाहे आप कितनी भी प्रार्थना करें या अच्छे काम करें, और लोगों का दिल तोड़ दें—वे किसी काम के नहीं हैं।

शम्स तबरेज़

किसी को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिए, बल्कि यथासंभव मदद करनी चाहिए।

शम्स तबरेज़

आदमी दूसरों से बहुत कुछ सीख सकता है, लेकिन हर ज़रूरी बात उसे अपनी ही खोज और अपने ही अनुभव से प्राप्त करनी पड़ती है।

जवाहरलाल नेहरू

व्यापार तो ऐसा ही किया जाए जिसमें किसी के प्रति अपराध हो, जिसमें किसी की कौड़ी भी लेनी पड़े।

महात्मा गांधी

मनुष्य-मनुष्य में आत्मीय संबंध स्थापित करना, यही भारत का मुख्य प्रयास चिरकाल से रहा है। दूर के नातेदारों से भी संबंध रखना चाहिए, संतानों के वयस्क होने पर भी उनसे शिथिल नहीं होने चाहिए, गाँव के लोगों के साथ वर्ण या अवस्था का विचार किए बग़ैर, आत्मीयता की रक्षा करनी चाहिए—यही हमारी परंपरा रही है।

रवींद्रनाथ टैगोर

जो साधु पुरुष होते हैं उनका अहं नज़र नहीं आता है, उनकी आत्मा को ही हम देखते हैं।

रवींद्रनाथ टैगोर

जो व्यक्ति छोटा है वह विश्व-संसार को असंख्य बाधाओं का राज्य समझता है। बाधाएँ उसकी दृष्टि को अवरुद्ध करती हैं और उसकी आशाओं पर आघात करती हैं, इसीलिए वह सत्य को नहीं जानता, बाधाओं को ही सत्य के रूप में देखता है। लेकिन जो व्यक्ति महान् है, वह बाधाओं से मुक्त होकर सत्य को देख सकता है। तभी महान् लोगों की बातें छोटे व्यक्तियों की बातों के बिल्कुल विपरीत होती हैं।

रवींद्रनाथ टैगोर

सुख सिर्फ़ हमारा होता है, और कल्याण नामक वस्तु सारे जगत की होती है।

रवींद्रनाथ टैगोर

सहित शब्द से साहित्य शब्द की उत्पत्ति हुई है। अतः धातुगत अर्थ लेने पर साहित्य शब्द में एक मिलन का भाव दिखाई पड़ता है।

रवींद्रनाथ टैगोर

चालाकी से ज़्यादा, हमें दयालुता और सौम्यता की आवश्यकता है।

चार्ली चैप्लिन

अभिलाषा के बिना, इतने पदार्थ जगत के लिए पैदा होने ही चाहिए—यह समझकर परिश्रम करने का नाम निष्काम कर्म है और वह यज्ञ है।

महात्मा गांधी

श्रेष्ठ महापुरुष वही होते हैं जो सारे धर्म, इतिहास और नीति से पृथ्वी के श्रेष्ठ दान को ग्रहण करते हैं।

रवींद्रनाथ टैगोर

जिन्होंने मनुष्य को दुर्गम मार्ग पर बुलाया है, उन्हें मनुष्य की श्रद्धा मिली है—क्योंकि उन्होंने स्वयं मनुष्य की श्रद्धा की है। उन्होंने मनुष्य को दीनात्मा कहकर उसकी अवज्ञा नहीं की।

रवींद्रनाथ टैगोर

जनसाधारण का मंगल बहुत-सी बातों के समन्वय से ही होता है।

रवींद्रनाथ टैगोर

अगर कोई हमारे बारे में बुरा बोलता है, तो बदले में उसके बारे में बुरा बोलने से बात और भी ख़राब हो जाती है। आप एक ऐसे घर में कैद हो जाएँगे जहाँ आप दूसरों को नुकसान पहुँचाने के अलावा कुछ नहीं सोच सकते।

शम्स तबरेज़

शुभ और अशुभ कर्मों के बंधन में अनंत काल बीता है। जब शुभ और अशुभ कर्मों का नाश होता है, तब आत्मा का शुद्ध स्वभाव प्रकट होता है।

श्रीमद् राजचंद्र

बहुमत को दूसरों को दबाने का हक़ नहीं है। बहुमत के ज़ोर से या तलवार के ज़ोर से मिली हुई ताक़त सच्ची ताक़त नहीं है। दरअसल सचाई ही सच्ची ताक़त है।

महात्मा गांधी

ईसा का श्रेष्ठ संदेश है कि जो विनम्र है; उसी की विजय होती है, लेकिन ईसाई देश कहते हैं कि निष्ठुर धृष्टता द्वारा विजय प्राप्त होती है।

रवींद्रनाथ टैगोर

कर्म-फल से मिलता है शरीर, मुक्ति मिलती है प्रभु के प्रसाद से।

गुरु नानक

हरेक धर्म में जो रत्नकी-सी बात हाथ आवे उसको ले लें और अपने धर्म की अच्छाई को बढ़ाते चलें।

महात्मा गांधी

बुराई का अस्तित्व है और दु:ख की बात यह है कि अच्छाई कभी उससे आगे नहीं बढ़ पाती।

लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई

बुरे को हमेशा बुरा और अच्छे को अच्छा कहो।

रसूल हमज़ातोव

भलाई कि निशानी यह है कि हम दुष्टता का बदला दुष्टता से दें, दुष्टता का बदला हम साधुता से दें।

महात्मा गांधी

आप केवल हृदय से ही आकाश को छू सकते हैं।

रूमी
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जो मनुष्य सत्य को चौका स्वच्छ करने की युक्ति बनाते हैं, उच्च आचरण को चौके की लकीरें बनाते हैं। जो नाम जपते हैं और इसको तीर्थ स्नान समझते हैं, जो दूसरों को भी बुरी शिक्षा नहीं देते—वह मनुष्य प्रभु के दरबार में अच्छे माने जाते हैं।

गुरु नानक

क्षमा करना अच्छा है। भूल जाना सर्वोत्तम है।

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