
जो रात बीत गई है, वह फिर नहीं लौटती, जैसे जल से भरे हुए समुद्र की ओर यमुना जाती ही है, उधर से लौटती नहीं।

गंगा महाकाव्य है तो यमुना गीति-काव्य।

यमुना अद्भुत रसमय चरित्र के साथ हमारे मानस लोक में प्रतिष्ठित है।

यमुना-तट पर रातों में चाँदनी इतनी गाढ़ी झरती है कि घड़े में भर लेने की तबीयत होती है।

यमुना नदी बड़ी मौज़-मस्ती से जुड़ी नदी है। बाप-दादों ने कहा है कि यह यमराज की बहन है। ज़रूर होगी। हर एक मौज़-मस्ती यमराज की बहन है।

भारतीय साहित्य में यमुना की जो छवि बनती है; वह है एक चंचल किशोरी की। सिर पर गागर लिए हुए, बड़ी कला-छला वाली, नील परिधान में सजी, दूध-वर्ण गोरी-गोरी छोरी—एक गिलास ताज़े गर्म दूध जैसी छोकरी!

समस्त सिद्धियों की हेतु यमुना को मैं प्रणाम करता हूँ।