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यमुना पर उद्धरण

जो रात बीत गई है, वह फिर नहीं लौटती, जैसे जल से भरे हुए समुद्र की ओर यमुना जाती ही है, उधर से लौटती नहीं।

वाल्मीकि

समस्त सिद्धियों की हेतु यमुना को मैं प्रणाम करता हूँ।

वल्लभाचार्य
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