
जीवन-शुद्धि और जीवन-समृद्धि यही हमारा आदर्श हो।

ईमानदारी वैभव का मुँह नहीं देखती, वह तो मेहनत के पालने पर किलकारियाँ मारती है और संतोष पिता की तरह उसे देखकर तृप्त हुआ करता है।
जीवन-शुद्धि और जीवन-समृद्धि यही हमारा आदर्श हो।
ईमानदारी वैभव का मुँह नहीं देखती, वह तो मेहनत के पालने पर किलकारियाँ मारती है और संतोष पिता की तरह उसे देखकर तृप्त हुआ करता है।