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पाप पर उद्धरण

अज्ञान निर्दोषता नहीं है, पाप है।

रॉबर्ट ब्राउनिंग

हर पाप ख़ालीपन से भागने का प्रयास है।

सिमोन वेल

सभी पाप ख़ालीपन को भरने के प्रयास होते हैं।

सिमोन वेल

वह सबको शरण देने वाला है, दाता और सहायक है। अपराधों को क्षमा करने वाला है, जीविका देने वाला है और चित्त को प्रसन्न करने वाला है।

गुरु गोविंद सिंह

पाप कर्म बन जाने पर सच्चे हृदय से पश्चात्ताप करने वाला मनुष्य उस पाप से छूट जाता है तथा फिर कभी ऐसा कर्म नहीं करूँगा, ऐसा दृढ़ निश्चय कर लेने पर भविष्य में होने वाले दूसरे पाप से भी मुक्त हो जाता है।

वेदव्यास

यदि पापी अपने पाप का फल एकांत में या अपनी आत्मा ही में भोग कर चला जाता है तो वह अपने जीवन की सामाजिक उपयोगिता की एकमात्र संभावना को भी नष्ट कर देता है।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

जिस गृहस्थ के घर से अतिथि निराश होकर लौट जाता है, वह उस गृहस्थ को अपना पाप देकर उसका पुण्य ले जाता है।

वेदव्यास

पापों का फल तत्काल समझ में नहीं आता। उसका ज़हर अवस्था की तरह ठीक अपने समय पर चढ़ता है।

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
  • संबंधित विषय : समय

राजन्! परिहासयुक्त वचन असत्य होने पर भी हानिकारक नहीं होता। अपनी स्त्रियों के प्रति, विवाह के समय, प्राण-संकट के समय तथा सर्वस्व का अपहरण होते समय विवश होकर असत्य भाषण करना पड़े तो वह दोषकारक नहीं होता। ये पाँच प्रकार के असत्य पापशून्य कहे गए हैं।

वेदव्यास

जिस कर्म से ईश्वर हमसे दूर होता है वह पाप है।

संत तुकाराम

परोपकार पुण्य तथा पर पीड़ा पाप है।

लूसिया कैरम

द्विधा और दुर्बलता पाप हैं। पाप ही क्यों, महापाप हैं।

शरत चंद्र चट्टोपाध्याय

जीवन भर काँटे की तरह क्या चुभता है? छिप कर किया गया पाप।

अमोघवर्ष

पाप का फल छिपाने वाला पाप छिपाने वाले से अधिक अपराधी है।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

पाप केवल इसलिए बुरा नहीं है कि उससे अपने आपको नरक मिलता है, बुरा वह इसलिए है कि उसकी दुर्गंध से दूसरे का दम भी बिना घुटे नहीं रहता।

सियारामशरण गुप्त
  • संबंधित विषय : नरक

कोई बात प्राचीन है इसलिए वह अच्छी है ऐसा मानना बहुत ग़लत है। यदि प्राचीन सब अच्छा ही होता तो पाप कम प्राचीन नहीं है। परन्तु चाहे जितना भी प्राचीन हो, पाप त्याज्य ही रहेगा।

महात्मा गांधी

जहाँ पाप है, वहाँ पाप-पुंज-हारी भी हैं।

काका कालेलकर

दया के समान पाप को प्रोत्साहित करने वाला अन्य कुछ नहीं है।

विलियम शेक्सपियर

यहाँ हम सभी समान रूप से पापी हैं, अपने पाप के मापदंड से दूसरों के पाप की माप-तौल करते हैं।

क़ाज़ी नज़रुल इस्लाम