
अराजकता का इलाज स्वतंत्रता है न कि दासता, वैसे ही जैसे अंधविश्वास का सच्चा इलाज नास्तिकता नहीं, धर्म है।

लड़ते हुए मर जाना जीत है, धर्म है। लड़ने से भागना पराधीनता है, दीनता है। शुद्ध क्षत्रियत्व के बिना शुद्ध स्वाधीनता असंभव है।

भारत सदा स्वाधीन रहा है। आज भी हम स्वाधीन हैं। पैंतीस करोड़ भारतवासी विश्व विजय करके रहेंगे। भारत युग-पुरुष श्रीराम, श्रीकृष्ण, बुद्धदेव, शंकरदेव आदि की पवित्र जन्मभूमि है और मानव मात्र की ज्ञान-दायिनी भी है।

आज हम हिंदुस्तान की पूरी आज़ादी चाहते हैं।

स्वाधीनता का वृक्ष समय-समय पर देशभक्तों तथा अत्याचारियों के रक्त से अवश्य सींचा जाना चाहिए। यह इसकी प्राकृतिक खाद है।