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ईश्वर पर उद्धरण

ईश्वर मानवीय कल्पना

या स्मृति का अद्वितीय प्रतिबिंबन है। वह मानव के सुख-दुःख की कथाओं का नायक भी रहा है और अवलंब भी। संकल्पनाओं के लोकतंत्रीकरण के साथ मानव और ईश्वर के संबंध बदले हैं तो ईश्वर से मानव के संबंध और संवाद में भी अंतर आया है। आदिम प्रार्थनाओं से समकालीन कविताओं तक ईश्वर और मानव की इस सहयात्रा की प्रगति को देखा जा सकता है।

अगर एक स्त्री अकेली सोती है तो यह सभी पुरुषों के लिए शर्मनाक है। ईश्वर के पास बड़ा दिल है, लेकिन एक ऐसा भी पाप है जिसे वह माफ़ नहीं करता : अगर एक स्त्री किसी पुरुष को बिस्तर पर बुलाती है और वह नहीं जाता।

निकोस कज़ानज़ाकिस

लेखक को अपनी पुस्तक में ब्रह्मांड में ईश्वर की तरह होना चाहिए, जो हर जगह मौजूद है और कहीं भी दिखाई नहीं देता है।

गुस्ताव फ़्लॉबेयर

विभिन्न धर्म अलग-अलग भाषाएँ हैं, जिनमें प्रत्येक की अपनी सच्चाई हो सकती है और सच्चाई की कमी हो सकती है और ऐसा सोचना मूर्खतापूर्ण है कि ईश्वर किसी प्रकार से परिभाषित है, जिसके बारे में आप कुछ भी कह सकते हैं।

यून फ़ुस्से

ईश्वर संसार को समझाने के लिए स्वप्न में देखा गया एक शब्द मात्र है।

गुस्ताव फ़्लॉबेयर

ख़ुदा बस इतना ही करता है कि देखता रहता है हमें, और मार देता है—जब हम उबाऊ हो जाते हैं। हमको कभी भी, हो सके तो हर समय, उबाऊ होने से बचना चाहिए।

चक पैलनिक

मुझे लगता है कि व्यक्ति ईश्वर से आता है और ईश्वर के पास वापस जाता है, क्योंकि शरीर की कल्पना की जाती है और जन्म होता है, यह बढ़ता है और घटता है, यह मर जाता है और ग़ायब हो जाता है; लेकिन जीवात्मा शरीर और आत्मा का मेल है, जिस तरह एक अच्छी तस्वीर में आकार और विचार का अदृश्य संगम होता है।

यून फ़ुस्से

ईश्वर इतना दूर है कि कोई भी उसके बारे में कुछ नहीं कह सकता है और यही कारण है कि ईश्वर के बारे में सभी विचार ग़लत हैं और साथ ही वह इतना क़रीब है कि हम उसे देख ही नहीं सकते, क्योंकि वह व्यक्ति में आधार या रसातल है। आप इसे जो चाहें कह सकते हैं।

यून फ़ुस्से

हर आदमी भगवान की छवि में बना है, भले ही उसमें इसे भूलने की प्रवृत्ति हो।

अमोस ओज़

हर किसी के अंदर एक गहरी लालसा होती है। हम हमेशा किसी किसी चीज़ के लिए लालायित रहते हैं और हम मानते हैं कि हम जिस चीज़ के लिए लालायित रहते हैं वह यह या वह है, यह व्यक्ति या वह व्यक्ति, यह चीज़ या वह चीज़ है; लेकिन वास्तव में हम ईश्वर के लिए लालायित रहते हैं, क्योंकि मनुष्य सतत प्रार्थना है। व्यक्ति अपनी लालसा के माध्यम से एक प्रार्थना है।

यून फ़ुस्से

ये तीन दुर्लभ हैं और ईश्वर के अनुग्रह से ही प्राप्त होते हैं—मनुष्य जन्म, मोक्ष की इच्छा और महापुरुषों की संगति।

आदि शंकराचार्य

ऐसा नहीं है कि हमें संदेह है कि भगवान हमारे लिए सबसे अच्छा करेंगे, हम सोच रहे हैं कि सबसे अच्छा कितना दर्दनाक होगा।

सी. एस. लुईस

भगवान में विश्वास करने से इनकार करने में बहुत गर्व शामिल है।

फ़ेरित ओरहान पामुक

हम ईश्वर से दो स्तरों पर विलगित हैं—‘पतन’ हमें उससे अलग करता है और ‘जीवन-वृक्ष’ उसे हमसे।

फ्रांत्स काफ़्का

मैं स्वर्ग के पार उड़ गया और भगवान को काम करते हुए देखा। मैंने पवित्र कष्ट सही।

हरमन हेस

मैं उसके साथ छह महीने रहा। उस दिन से—ईश्वर मेरा साक्षी है!—मुझे किसी चीज़ से डरने की ज़रूरत नहीं पड़ी। सिवाय एक चीज़ के कि शैतान या भगवान, उन छह महीनों की स्मृति मेरे मन से मिटा देगा।

निकोस कज़ानज़ाकिस

ईश्वर अपना रूप पल-पल बदलता रहता है। ख़ुशक़िस्मत हैं वे जो उसे उसके तमाम रूपों में भी चीन्ह सकते हैं।

निकोस कज़ानज़ाकिस

ईश्वर विवरण में है।

गुस्ताव फ़्लॉबेयर

ईश्वर मुझमें है, वरना ईश्वर मुझमें है, वरना बिल्कुल नहीं है। बिल्कुल नहीं है।

वालेस स्टीवंस

किसी को जानने के बाद उसके बारे में कहने के लिए कुछ भी नहीं बचता। जो लोग ईश्वर को नहीं जानते, वे ईश्वर के बारे में सबसे ज़्यादा बातें करते हैं।

रघुवीर चौधरी

अगर कोई ईश्वर है, तो वह हमारे भीतर है।

ब्रूस ली

ईसाई यह नहीं सोचता है कि परमेश्वर हमसे इसलिए प्रेम करेगा क्योंकि हम अच्छे हैं, लेकिन यह सोचता है कि परमेश्वर हमें इसलिए अच्छा बनाएगा; क्योंकि वह हमसे प्रेम करता है।

सी. एस. लुईस

ईश्वर और कल्पना एक ही हैं।

वालेस स्टीवंस

प्यारे भगवान, मुझे थोड़ी देर, थोड़ी और देर तक शापित बने रहने दो।

विलियम फॉल्कनर

हिटलर पर भी ग़ुस्सा करना उचित नहीं है, ईश्वर पर तो और भी कम।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

भगवान के लिए प्यार तब शुद्ध है, जब ख़ुशी और पीड़ा समान कृतज्ञता के लिए प्रेरित करती हैं

सिमोन वेल

हम ईश्वर की उपस्थिति को अनदेखा कर सकते हैं, लेकिन कहीं भी उनसे बच नहीं सकते हैं। वह दुनिया में हमेशा विद्यमान हैं। वह हर जगह गुप्त रूप से चलते हैं।

सी. एस. लुईस

आप परमेश्वर से तब तक प्रेम नहीं करते हैं, जब तक आप किसी व्यक्ति से पूरी तरह प्रेम नहीं करते हैं।

सी. एस. लुईस

ईश्वर केवल उन लोगों को छोड़ देता है जो ख़ुद को छोड़ देते हैं, और जो भी अपने दुख को अपने दिल के भीतर बंद रखने की हिम्मत रखता है, वह उससे लड़ने में—शिकायत करने वाले व्यक्ति से अधिक मज़बूत होता है।

जॉर्ज सैंड

ईश्वर नहीं, बल्कि उसमें विश्वास मायने रखता है।

वालेस स्टीवंस

बुरे लोगों को सज़ा देना ईश्वर का काम है, हमें माफ़ करना सीखना चाहिए।

एमिली ब्रॉण्टे

मुझे चर्च में जो भी भगवान मिला, मैं उसे अंदर ले आई।

एलिस वॉकर

ईसाई होने का मतलब अक्षम्य को क्षमा कईसाई होने का मतलब अक्षम्य को क्षमा करना है, क्योंकि भगवान ने आपमें अक्षम्य को क्षमा कर दिया है।

सी. एस. लुईस

ईश्वर, मैं तुमसे नफ़रत करता हूँ। मैं तुमसे इस तरह नफ़रत करता हूँ, मानो तुम सच में मौजूद हो।

ग्राहम ग्रीन

यदि कोई ईश्वर पर पूरा भरोसा कर सकता है तो दूसरों के मन (की सत्ता) पर क्यों नहीं?

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

भगवान कितना अधिक दुःख-कष्ट मनुष्य को देते हैं, तब उसे सच्ची मानवता तक पहुँचा देते हैं।

शरत चंद्र चट्टोपाध्याय

ईश्वर की कृपा की भयावह विचित्रता की कल्पना तुम कर सकते हो, और ही मैं।

ग्राहम ग्रीन

ईश्वर दर्शकों के साथ खेलता एक विदूषक है, जिसके दर्शक हँसने से भी डरते हैं।

वॉल्टेयर
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अपने-आप में स्थिर हो और जानो कि मैं ईश्वर हूँ।

रमण महर्षि

जिसके स्वयं के भीतर भगवान नहीं है, वह उसकी अनुपस्थिति महसूस नहीं कर सकता है।

सिमोन वेल

उन लोगों के लिए कुछ भी बदसूरत नहीं है, जो ईश्वर द्वारा बनाई गई हर चीज़ के गुणों और उसकी मोहकता को समझते हैं।

जॉर्ज सैंड

मैंने कभी कुछ ज़्यादा तो नहीं, पर भगवान से एक प्रार्थना तो की है : हे भगवान, मेरे दुश्मनों को हास्यास्पद बना दो। और भगवान ने इसे मंज़ूर कर लिया।

वॉल्टेयर

अच्छा अंतःकरण सर्वोत्तम ईश्वर है।

थॉमस फ़ुलर

हर शिशु इस संदेश के साथ जन्मता है कि इश्वर अभी तक मनुष्यों के कारण शर्मसार नहीं है।

रवींद्रनाथ टैगोर

जो अपने कर्मों को ईश्वर का कर्म समझकर करता है, वही ईश्वर का अवतार है।

जयशंकर प्रसाद

अगर इस दुनिया को ईश्वर का ख़्वाब समझ लिए जाए तो ईश्वर से अपेक्षा कम हो जाए, हमदर्दी ज़्यादा।

कृष्ण बलदेव वैद

खुदा को मखौल की सख्त जरूरत है। लोगों को चाहिए, दिल खोलकर खुदा का मखौल उड़ाएँ। तभी वह आसमान से उतरकर ज़मीन पर सकता है।

मृदुला गर्ग

देवता प्रसन्न होने पर और कुछ तो नहीं देते, सद्बुद्धि ही प्रदान करते हैं।

श्रीहर्ष

और ऐसे भी लोग हैं जो देते हैं, लेकिन देने में कष्ट अनुभव नहीं करते, वे उल्लास की अभिलाषा करते हैं और पुण्य समझ कर ही कुछ देते हैं।

वे देते हैं, जिस प्रकार विजय का फूल दशों दिशाओं में अपना सौरभ लुटा देता है।

इन्हीं लोगों के हाथों द्वारा ईश्वर बोलता है और इन्हीं की आँखों में से वह पृथ्वी पर अपनी मुस्कान छिटकता है।

खलील जिब्रान

अहिंसा केवल बुद्धि का विषय नहीं है, यह श्रद्धा और भक्ति का विषय है। यदि आपका विश्वास अपनी आत्मा पर नहीं है, ईश्वर और प्रार्थना पर नहीं है, अहिंसा आपके काम आने वाली चीज़ नहीं है।

मोहनदास करमचंद गांधी

जो अपने कर्मो को ईश्वर का कर्म समझकर करता है, वही ईश्वर का अवतार है।

जयशंकर प्रसाद