सफलता पर उद्धरण
सफलता-असफलता जीवन-प्रसंगों
से संबद्ध एक प्रमुख विषय है। समाज ने सफलता-असफलता के कई मानदंड तय कर रखे हैं जो इहलौकिक भी हैं और आध्यात्मिक-दार्शनिक भी। कविताओं में भी इस विषय पर पर्याप्त अभिव्यक्तियाँ पाई जाती हैं।

जो भी अपनी भूमि पर अँगूठे के बल खड़ा हो जाता है, वट वृक्ष हो जाता है।


जो मुझसे नहीं हुआ, वह मेरा संसार नहीं।

शिखरों की ऊँचाई कर्म की नीचता का परिहार नहीं करती।

सफल होना मेरे लिए संभव नहीं है। मेरे लिए केवल संभव है—होना।