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निष्काम पर उद्धरण

सत्य की आकांक्षा है तो स्वयं को छोड़ दो।

ओशो

अस्वाद-वृत्ति से चलने वाले संयुक्त भोजनालय में जाकर, वहाँ जो भोजन बना हो उसमें से जो हमारे लिए त्याज्य हो उस आहार को ईश्वर का अनुग्रह मानकर, मन में भी उसकी टीका किए बिना, संतोष-पूर्वक और शरीर के लिए जितना आवश्यक हो उतना खा लेना, अस्वाद व्रत में बहुत सहायक है।

महात्मा गांधी

गीता ने उपदेश तो फलासक्ति के त्याग का दिया था; किन्तु साधकों ने कर्मन्यास का अर्थ फलासक्ति का त्याग नहीं, कर्म मात्र का त्याग लगा लिया।

रामधारी सिंह दिनकर

निष्काम कर्मयोगी तभी सिद्ध होता है जब हमारे बाह्य कर्म के साथ अंदर से चित्तशुद्धि रूपी कर्म का भी संयोग होता है।

विनोबा भावे

अपने या अपने बाल-बच्चों के काम आने के ख़याल से जो एक चिथड़ा ही बटोरकर रखता है और दूसरे को ज़रूरत होते हुए भी इस्तेमाल नहीं करने देता, वह परिग्रही है। जो ऐसी वृत्ति से रहित है, लाख रुपए की पूँजी रखता हुआ भी, वह अपरिग्रही है।

महात्मा गांधी

मैं महसूस करता हूँ कि मैं कुछ नहीं कर पाया हूँ। यही वह बात है जो मुझे अपने लेखन, शैली और प्रतीकों में सुधार के लिए मज़बूर करती है।

महमूद दरवेश

स्व. का विसर्जन करके ही हम पूर्ण रूप से मुक्त हो सकते हैं।

मृदुला गर्ग

कर्मन्यास का अर्थ; कर्म का त्याग नहीं, केवल फलासक्ति का त्याग है।

रामधारी सिंह दिनकर

भोग त्याग के बीच का द्वंद्व, साहित्य का अनंत विषय है तो मनोविज्ञान का भी।

भोग त्याग के बीच का द्वंद्व, साहित्य का अनंत विषय है तो मनोविज्ञान का भी।

मृदुला गर्ग