
स्पष्ट और शांत उसकी आवाज़ श्रोताओं के ऊपर तैरती रही, जैसे एक प्रकाश, जैसे एक तारा भरा आकाश।

लेखन कितना शांत है, छपना उतना ही शोर-शराबे वाला।

जीवन में आप जो सबसे अच्छा सबक़ सीख सकते हैं, वह है शांत रहने में महारत हासिल करना। शांति एक महाशक्ति है।

आपके भीतर एक शांति और आश्रय है जहाँ आप किसी भी समय वापस जा सकते हैं और स्वयं बन सकते हैं।

धर्म पालन करते हुए मन को जो शांति रहनी चाहिए, वह न रहे ; तो यह माना जा सकता है कि कहीं न कहीं हमारी भूल हुई होगी।

चेतना जब आत्मा में ही विश्रांति पा जाए, वही पूर्ण अहंभाव है।

भारतीय जीवन धीरे-धीरे जीने का जीवन है। उसमें उद्वेग और आवेग नहीं, संतोष और शांति ही उसके मूल आधार हैं।

जो पुरुष निश्चय ही अंतरात्मा में ही सुख वाला है, अंतरात्मा में ही शांति वाला है तथा जो अंतरात्मा ज्ञान वाला है, वह योगी स्वयं ब्रह्मरूप होकर ब्रह्म की शांति प्राप्त करता है।

हे पृथ्वी! तुम आज की नहीं, जन्म से ही चिरंतन सुंदरी हो! तुम मेरी अनन्त शांति की विश्रामस्थली और अतीत की स्वप्नलीला-भूमि हो।

ओ मेरे स्नेही देश! तुम्हारी दुखी कुटिया में स्वर्ग की शांति है। ऐसी प्रीति, सहज प्राणस्पर्शी भाषा और सेवा का महिमामय त्याग, मैं कहाँ पाऊँगी?

शांति के लिए ‘स्वाहा’ उच्चारण के साथ दी गई एक आहुति संपूर्ण सृष्टि के लिए कितनी मांगलिक होती है, इसे कभी मानवेतर सृष्टि में पैठ कर कोई देखे, तभी समझा जा सकता है।

शांति ईमानदारी से नहीं मिलती, या मिलती है तो हर एक को नहीं।