मेरा डर मेरा सच एक आश्चर्य है।
उन लोगों से सच मत कहो जो उसे ग्रहण करने के योग्य न हों।
हम इनसान हैं, मैं चाहता हूँ इस वाक्य की सचाई बची रहे।
स्वप्नद्रष्टा या निर्माता वही हो सकता है, जिसकी अंतर्दृष्टि यथार्थ के अंतस्तल को भेदकर उसके पार पहुँच गई हो, जो उसे सत्य न समझकर केवल एक परिवर्तनशील अथवा विकासशील स्थिति भर मानता हो।
सत्य कभी भी दयावान नहीं होता। हम कहाँ चुन सकते हैं अपना भाग्य।
जो लोग कविता से निरी कलात्मकता की अपेक्षा करते हैं, वे कविता के वस्तु-सत्य को गौण रखना चाहते हैं।
बच्चे झट से सत्य के आस-पास पहुँच जाते हैं।
मानव-एकता के सत्य को हम मनुष्य के भीतर से ही प्रतिष्ठित कर सकते हैं, क्योंकि एकता का सिद्धांत अंतर्जीवन या अंतश्चेतना का सत्य है।
सच हथेली पर उग आया अंगारा होता है।
समस्त सत्य केवल मात्र मानवीय सत्य है, उसके बाहर या ऊपर किसी भी सत्य की कल्पना संभव नहीं है।
मूर्खता सरलता का सत्यरूप है।
हम एक ऐसी सभ्यता में रहते हैं, जिसने सत्य को खोजने के लिए सब रास्तों को खोल दिया है, किंतु उसे पाने की समस्त संभावनाओं को नष्ट कर दिया है।
सत्य सदा एक ही होता है।
प्रमाद में मनुष्य कठोर सत्य का भी अनुभव नहीं कर सकता।
तत्त्व का प्रमाण, स्वयं तत्त्व ही है।
सचाई कहाँ है—मैं आज तक नहीं समझ पाया।
सत्य कभी दया नहीं करता।
झूठ से सच्चाई और गहरी हो जाती है—अधिक महत्त्वपूर्ण और प्राणवान।
सत्य इतना विराट है कि हम क्षुद्र जीव व्यवहारिक रूप से उसे संपूर्ण ग्रहण करने में प्रायः असमर्थ प्रमाणित होते हैं।
सत्य को कभी भी एक पार्श्व से नहीं देखा जा सकता। उस तरह से देखने पर उसका केवल आधा चेहरा दिखाई देता है।-38
मैं ऐसे छोटे-छोटे झूठ बोलता हूँ जिनसे दूसरों को कोई नुक़सान नहीं होता। लेकिन उनसे मेरा नुक़सान ज़रूर होता है।
जब तक सच जूते पहन रहा होता है, तब तक झूठ पूरी दुनिया के चक्कर लगा कर आ जाता है।
मैं वह झूठ हूँ, जो हमेशा सच बोलता है।
"सच बोलने के बाद, तुम्हें कुछ भी याद रखने की ज़रूरत नहीं है"
सत्य कहना, क्रांतिकारी होना है।
शाश्वत सत्य का समावेश ही काव्य और कला को स्थायित्व प्रदान करता है।