युद्ध पर कविताएँ

युद्ध संघर्ष की चरम

स्थिति है जो एक शांतिहीन अवस्था का संकेत देती है। युद्ध और शांति का लोक, राज और समाज पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। प्रस्तुत चयन में युद्ध और शांति और विभिन्न प्रसंगों में उनके रूपकों के साथ अभिव्यक्त कविताओं का संकलन किया गया है।

सफ़ेद रात

आलोकधन्वा

महाभारत

अच्युतानंद मिश्र

अगर हो सके

अशोक वाजपेयी

युद्ध और तितलियाँ

दीपक जायसवाल

कौन मुझको युद्ध को ललकारता है

कृष्ण मुरारी पहारिया

महाभारत

गोपालकृष्ण रथ

फ़ौजी तैयारी

कुँवर नारायण

एक चिनगारी के लिए

नवारुण भट्टाचार्य

अगले बारह घंटे

अंजुम शर्मा

युद्ध

शत्रुघ्न पांडव

एल.ओ.सी. पर

रविंद्र स्वप्निल प्रजापति

चक्रव्यूह

कुँवर नारायण

जलियाँवाले बाग़ में वसंत

सुभद्राकुमारी चौहान

मृत्युबोध

घुँघरू परमार

अठारह दिन

बद्री नारायण

रामसिंह

वीरेन डंगवाल

शांतिनुमा भय

अमर दलपुरा

पलटनिया पिता

अनिल कार्की

वीर रस का कवि सम्मेलन

महेंद्र अजनबी

साथ

बेबी शॉ

शहनाई का दुःख

कुमार कृष्ण शर्मा

उन दिनों माँ

दीपक सिंह

युद्धनाच

भुवन ढुंगाना

नन्हा सिपाही

अदिति शर्मा

सैनिक का शव

लनचेनबा मीतै

शांति-वार्ता

कुँवर नारायण

एकिलीज़* के लिए

सत्यम तिवारी

ख़िलजी का इश्क़

अरमान आनंद

गिर्दाब

आदर्श भूषण

तीन

दर्पण साह

युद्ध

श्रीविलास सिंह

तोप

वीरेन डंगवाल

आँख

कमल जीत चौधरी

अनंत ध्वनियाँ

उपासना झा

यह युग

आलोक श्रीवास्तव

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