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सभ्यता पर उद्धरण

धर्म स्त्री पर टिका है, सभ्यता स्त्री पर निर्भर है और फ़ैशन की जड़ भी वही है। बात क्यों बढ़ाओ, एक शब्द में कहो—दुनिया स्त्री पर टिकी है।

जैनेंद्र कुमार

हम जो बातें पढ़ते हैं वे सभ्यता की हिमायत करने वालों की लिखी बातें होती हैं। उनमें बहुत होशियार और भले आदमी हैं। उनके लेखों से हम चौंधिया जाते हैं। यों एक के बाद दूसरा आदमी उसमें फँसता जाता है।

महात्मा गांधी

समग्रता में भाषा, रूपक की सतत प्रक्रिया है। अर्थ-मीमांसा का इतिहास, संस्कृति के इतिहास का एक पहलू है। भाषा एक ही समय में एक जीवित वस्तु, जीवन और सभ्यताओं के जीवाश्मों का संग्रहालय है।

अंतोनियो ग्राम्शी

सभ्यता की मूलभूत मान्यताओं को रद्द करो, ख़ासकर सामान इकट्ठा करते रहने के महत्त्व को।

चक पैलनिक

हर जाति की सभ्यता की आंतरिक प्रार्थना यही होती है कि उसमें श्रेष्ठ महापुरुषों का आविर्भाव हो।

रवींद्रनाथ टैगोर

जो समाज सभ्य नहीं होता है; उस समाज में स्वभाव से बलिष्ठ व्यक्ति भी दुर्बल हो जाता है, कारण उस समाज के व्यक्ति अपने आपको यथेष्ठ मात्रा में प्राप्त नहीं कर पाते हैं।

रवींद्रनाथ टैगोर

प्रत्येक देश और समाज के मुहावरे उसकी सभ्यता, संस्कृति और ऐतिहासिक-भौगोलिक, स्थिति की उपज हैं। पर अँग्रेज़ी की नक़ल में भी हमें इसका भी ध्यान नहीं रहता।

श्रीलाल शुक्ल

मनुष्य के लिए कविता इतनी प्रयोजनीय वस्तु है कि संसार की सभ्य-असभ्य सभी जातियों में, किसी-न-किसी रूप में, पाई जाती है। चाहे इतिहास हो, विज्ञान हो, दर्शन हो, पर कविता का प्रचार अवश्य रहेगा।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

गंगा तो विशेष कर भारत की नदी है, जनता की प्रिय है, जिससे लिपटी हुई हैं भारत की जातीय स्मृतियाँ, उसकी आशाएँ और उसके भय, उसके विजयगान, उसकी विजय और पराजय! गंगा तो भारत की प्राचीन सभ्यता का प्रतीक रही है, निशानी रही है, सदा बलवती, सदा बहती, फिर वही गंगा की गंगा।

जवाहरलाल नेहरू

तुम लोग इज़्ज़तों में और पर्दों में रहकर जाने किन-किन व्यर्थताओं को अपने साथ लपेट लेते हो और उनमें गौरव मानते हो। यह सब तुम लोगों की झूठी सभ्यता है, ढकोसला है। फिर कहते हो, हम सच को पाना चाहते हैं। तुम्हारा सच कपड़ों में है, लिबास में है और सच्चाई से डरने में है।

जैनेंद्र कुमार

भारत में आर्य जाति के लोग पहले अरण्य-निवासी थे, फिर ग्रामवासी हुए और उसके बाद नगरवासी।

रवींद्रनाथ टैगोर

एक सभ्य समाज में मूल अधिकारों पर अमल करने के लिए, बंदूकों से रक्षा की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।

महात्मा गांधी

मनु का नाम आते ही हमें अपनी सभ्यता के उस धुँधले प्रभात का स्मरण हो जाता है; जिसमें सूर्य की उषाकालीन किरणों के प्रकाश में मानव और देव, दोनों साथ-साथ विचरते हुए दिखाई देते हैं।

वासुदेवशरण अग्रवाल

मनुष्य के भीतर जो कुछ वास्तविक है, उसे छिपाने के लिए जब वह सभ्यता और शिष्टाचार का चोला पहनता है, तब उसे संभालने के लिए व्यस्त होकर कभी-कभी अपनी आँखों में ही उसको तुच्छ बनना पड़ता है।

जयशंकर प्रसाद

कहानी का स्थान महज़ साहित्य की दृष्टि से केंद्रीय नहीं है, मनुष्य की सभ्यता में भी केंद्रीय है। सभ्यता की चर्चा करनी हो तो हमें एक कहानी के रूप में करनी होगी।

कृष्ण कुमार

ज्यों-ज्यों हमारी वृत्तियों पर सभ्यता के नए-नए आवरण चढ़ते जाएँगे त्यों-त्यों एक ओर तो कविता की आवश्यकता बढ़ती जाएगी, दूसरी ओर कवि-कर्म कठिन होता जाएगा।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

सभ्यता का अर्थ है एकत्र होने का अनुशीलन। जहाँ इस ऐक्य-तत्त्व की उपलब्धि क्षीण होती है, वहीं यह दुर्बलता तरह-तरह की व्याधियों का रूप धारण करके देश पर चारों ओर से आक्रमण करती है।

रवींद्रनाथ टैगोर

प्रत्येक जाति और देश का अपना निहितार्थ होता है, अपनी विशेष समस्या होती है। उस अर्थ को पूरा करना पड़ता है, निरंतर प्रयास द्वारा।

रवींद्रनाथ टैगोर

हिन्दुस्तान की सभ्यता का झुकाव नीति को मजबूत करने की ओर है, पश्चिम की सभ्यता का झुकाव अनीति को मजबूत करने की ओर है, इसलिए मैंने उसे हानिकारक कहा है।

महात्मा गांधी

'ईसप' की एक कहानी है जिसमें एक काणा हिरन है। जिस दिशा में उसकी फूटी आँख है, वहीं से बाण उस पर लगता है। वर्तमान मानव-सभ्यता का 'काणा' पक्ष है उसकी विषयलोलुपता।

रवींद्रनाथ टैगोर

सभ्यता चूहे की तरह फेंककर काटती है।

महात्मा गांधी

सभ्यता के हिमायती साफ कहते हैं कि उनका काम लोगों को धर्म सिखाने का नहीं है।

महात्मा गांधी

सभ्यता वह आचरण है जिससे आदमी अपना फर्ज अदा करता है। फर्ज अदा करने के मानी है नीति का पालन करना। नीति के पालन का मतलब है अपने मन और इन्द्रियों को बस में रखना।

महात्मा गांधी

सभ्यता एक प्रकार का साँचा है, जो प्रत्येक जाति अपने सर्वश्रेष्ठ आदर्श के अनुसार निर्माण करती है, जिसमें उसके सभी स्त्री पुरुषों के जीवन की रूपरेखा तैयार होती है।

रवींद्रनाथ टैगोर

जो सभ्यता अचल है, वह आख़िरकार आफ़तों को दूर कर देती है।

महात्मा गांधी

किसी भी सभ्यता के मातहत सभी लोग संपूर्णता तक नहीं पहुँच पाए हैं।

महात्मा गांधी

अगर हम असभ्यता बरतते हैं तो अपना ही गला काट लेते हैं।

महात्मा गांधी

आप किस प्रकार के तकनीकी ज्ञान से उत्पादन और वितरण में लगे हैं—इसके आधार पर समाज या सभ्यता का निर्माण होता है।

यू. आर. अनंतमूर्ति

आर्य सभ्यता को जो युगांत तक फैला हुआ इतिहास है, इक्ष्वाकुवंशी राजा उसके मेरुदंड कहे जा सकते हैं।

वासुदेवशरण अग्रवाल

मैं अब ‘संस्कृति’ शब्द का प्रयोग नहीं करूँगा, मैं अब ‘सभ्यता’ शब्द का प्रयोग करना चाहता हूँ।

यू. आर. अनंतमूर्ति

सभ्यता के साथ व्यक्ति के जो भी इक़रार-नामा हैं, उनका आधार अतीत है।

रामधारी सिंह दिनकर