स्वार्थ पर सबद

सभ कछु जीवत को बिउहार

गुरु तेगबहादुर

हरि बिनु तेरो को न सहाई

गुरु तेगबहादुर

रे नर, इह साची जीअ धारि

गुरु तेगबहादुर

मन रे, साचा गहो बिवारा

गुरु तेगबहादुर

इह जगि मीतु न देखिओ कोई

गुरु तेगबहादुर

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