डर पर कविताएँ
डर या भय आदिम मानवीय
मनोवृत्ति है जो आशंका या अनिष्ट की संभावना से उत्पन्न होने वाला भाव है। सत्ता के लिए डर एक कारोबार है, तो आम अस्तित्व के लिए यह उत्तरजीविता के लिए एक प्रतिक्रिया भी हो सकती है। प्रस्तुत चयन में डर के विभिन्न भावों और प्रसंगों को प्रकट करती कविताओं का संकलन किया गया है।
संबंधित विषय
- अकेलापन
- अवसाद
- आँसू
- इच्छा
- ईश्वर
- ऊब
- करुणा
- क्रोध
- कला
- कलाकार
- कवि
- कविता
- कोरोना
- खिड़की
- ग़रीबी
- घर
- चीज़ें
- छाया
- ज्ञान
- जातिवाद
- जीवन
- डर
- तस्वीर
- तानाशाह
- दुख
- दर्द
- दलित
- देश
- देह
- दिल्ली
- नफ़रत
- नींद
- पृथ्वी
- प्रतिरोध
- प्रेम
- परिवार
- पुस्तक
- फ़ोन
- बेरोज़गारी
- भूख
- मज़दूर
- मृत्यु
- मौसम
- यातना
- यात्रा
- रंग
- रेल
- राजनीति
- रात
- रोग
- लोक
- लौटना
- विस्थापन
- शत्रु
- शब्द
- शर्म
- शहर
- शांति
- संघर्ष
- सच
- सृजन
- सन्नाटा
- स्पर्श
- संबंध
- समय
- साँस
- हिंसा