
जो लोग ख़ुशी की तलाश में घूमते हैं, वे अगर एक क्षण रुकें और सोचें तो वे यह समझ जाएँगे कि सचमुच ख़ुशियों की संख्या, पाँव के नीचे के दूर्वादलों की तरह अनगिनत है; या कहिए कि सुबह के फूलों पर पड़ी हुई शुभ्र चमकदार ओस की बूँदों की तरह अनंत है।

सवेरे में अर्थ होता है, शाम में महसूस करना।

मृत्यु का अर्थ रौशनी को बुझाना नहीं; सिर्फ़ दीपक को दूर रखना है क्यूंकि सवेरा हो चुका है।

मैं न सत् हूँ, न असत् हूँ और न उभयरूप हूँ। मैं तो केवल शिव हूँ। न मेरे लिए संध्या है, न रात्रि है, और न दिन है, क्योंकि मैं नित्य साक्षीस्वरूप हूँ।

प्रार्थना प्रातःकाल का आरंभ है और संध्या का अंत है।

हर दिन का ब्योरा रखो, अपनी सुबह की तारीख़ को उम्मीद के रंग से भरो।