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जातिवाद पर कविताएँ

भारतीय समाज के संदर्भ

में कवि कह गया है : ‘जाति नहीं जाती!’ प्रस्तुत चयन में जाति की विडंबना और जातिवाद के दंश के दर्द को बयान करती कविताएँ संकलित की गई हैं।

हिंदू वाली फ़ाइल्स

बच्चा लाल 'उन्मेष'

कौन जात हो भाई

बच्चा लाल 'उन्मेष'

दुःख की बिरादरी

रूपम मिश्र

लोकतंत्र का समकालीन प्रमेय

जितेंद्र श्रीवास्तव

अंबेडकरवादी हाइकु

मुसाफ़िर बैठा

जाति के लिए

पंकज चतुर्वेदी

रोज़मर्रा

सुधांशु फ़िरदौस

गंगा-जल

बच्चा लाल 'उन्मेष'

जाति बड़ी या प्यास

धीरेंद्र 'धवल'

जूता और ढोल

सौरभ राय

और

आशीष यादव

सात ख़ून माफ़

पंकज चौधरी

जोड़ियाँ

बच्चा लाल 'उन्मेष'

ब्लड डोनर और जाति का ओनर

बच्चा लाल 'उन्मेष'

सबसे आगे

गुलज़ार हुसैन

जुहार

अरुण कोलटकर

मृत्यु-भोज के अधकचरे

बच्चा लाल 'उन्मेष'

कइसा धरम?

बच्चा लाल 'उन्मेष'

संस्कार अभिनय का

मुसाफ़िर बैठा

समरसता

अरविंद वेगड़ा

जन्मदिवस

राजेश कमल

जाति है कि जाती नहीं

बच्चा लाल 'उन्मेष'

हमें भी जीना है

अरविंद वेगड़ा

मुझे रुक जाना है ब्राह्मण!

बच्चा लाल 'उन्मेष'

प्यार ज़रूरी है

गुलज़ार हुसैन

तेलिन

शिवम चौबे

चमार

आलोक आज़ाद

मनु के मन की कुंठित स्मृति

बच्चा लाल 'उन्मेष'

जस्टिस कर्णन

पंकज चौधरी