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एकता पर उद्धरण

उद्देश्य, विचार, भाव

आदि में एकमत होना एकता है। एकता में बल है। आधुनिक राज-समाज में विभिन्न आशयों में इस एकबद्धता की पुष्टि आदर्श साध्य है। इस समूहबद्धता का इतना ही महत्त्व शक्ति-समूहों के प्रतिरोध की संतुलनकारी आवश्यकता में है। कविता इन दोनों ही पक्षों से एकता की अवधारणा पर हमेशा से मुखर रही है।

जो मानव भिन्नत्व में एकत्व को देखता है वही प्राज्ञ माना जा सकता है।

गुरजाड अप्पाराव

अब जात-पाँत के, ऊँच-नीच के, संप्रदायों के भेद-भाव भूलकर सब एक हो जाइए। मेल रखिए और निडर बनिए। तुम्हारे मन समान हों। घर में बैठकर काम करने का समय नहीं है। बीती हुई घड़ियाँ ज्योतिषी भी नहीं देखता।

सरदार वल्लभ भाई पटेल

हे धृतराष्ट्र! जलती हुई लकड़ियाँ अलग-अलग होने पर धुआँ फेंकती हैं और एक साथ होने पर प्रज्वलित हो उठती हैं। इसी प्रकार जाति-बंधु भी आपस में फूट होने पर दुख उठाते हैं और एकता होने पर सुखी रहते हैं।

वेदव्यास

वे सब, जिन्हें समाज घृणा की दृष्टि से देखता है, अपनी शक्तियों को एकत्र करें तो इन महाप्रभुओं और उच्च वंशाभिमानियों का अभिमान चूर कर सकते हैं।

हरिकृष्ण प्रेमी

किसी देश में उस समय तक एकता और प्रेम नहीं हो सकता, जब तक उस देश के निवासी एक-दूसरे के दोषों पर ज़ोर देते रहते हैं।

रामतीर्थ

शासक वर्गों को साम्यवादी क्रांति होने पर काँपने दो। सर्वहाराओं पर अपनी बेड़ियों के अतिरिक्त अन्य कुछ है ही नहीं, जिसकी हानि होगी। जीतने के लिए उनके सामने एक संसार है। सभी देशों के श्रमिकों संगठित बनो।

कार्ल मार्क्स

भेद और विरोध ऊपरी हैं। भीतर मनुष्य एक है। इस एक को दृढ़ता के साथ पहचानने का यत्न कीजिए। जो लोग भेद-भाव को पकड़कर ही अपना रास्ता निकालना चाहते हैं, वे ग़लती करते हैं। विरोध रहे तो उन्हें आगे भी बने ही रहना चाहिए, यह कोई काम की बात नहीं हुई। हमें नए सिरे से सब कुछ गढ़ना है, तोड़ना नहीं है। टूटे को जोड़ना है।

हजारीप्रसाद द्विवेदी

जेल में रहते-रहते आत्मनिष्ठ सत्य एक हो जाते हैं। ऐसा प्रतीत होता है मानो भाव और स्मृति सत्य में परिणत हो गए हैं। मेरा भी ऐसा ही हाल है। भाव ही इस समय मेरे लिए सत्य है। इसका कारण भी स्पष्ट है—एकत्व-बोध में ही शांति है।

सुभाष चंद्र बोस

शांति से ही हिन्दू-मुस्लिम एकता क़ायम हो सकेगी। मैं जानता हूँ कि यह बड़ा कठिन काम है।

महात्मा गांधी

हे एकता के देवता! मैं तुम्हारा मंदिर कहाँ पाऊँ? वह हृदय कहाँ है जिसके अंदर एकता का प्रकाश है?

किशनचंद 'बेवस'

शत्रु लोग गणराज्य के लोगों में भेदबुद्धि पैदा करके तथा उनमें से कुछ लोगों को धन देकर भी समूचे संघ में फूट डाल देते हैं अतः संघबद्ध होना ही गणराज्य के नागरिकों का महान आश्रय है।

वेदव्यास

मैं यह कहने की हिम्मत करता हूँ कि बदला लेने की भावना छोड़कर अगर सब हिंदू और सिख अपने मुसलमान भाइयों के हाथों दिल में गुस्सा लाये बिना मर भी जाए तो वे सिर्फ हिंदू और सिख मज़हब की ही नहीं, इस्लाम और दुनियाकी भी रक्षा करेंगे।

महात्मा गांधी

सत्य काव्य का साध्य और सौंदर्य साधन है। एक अपनी एकता में असीम रहता है और दूसरा अपनी अनेकता में अनंत।

महादेवी वर्मा

मौलिक एकता और समन्वय पर बल देनेवाले विचार अनेक रूपों में हमारे साहित्य और इतिहास में प्रकट होते रहे हैं।

वासुदेवशरण अग्रवाल

सब भूतों में आत्मतत्त्व की एकता की पहचान ही वेदांत का फल है।

वासुदेवशरण अग्रवाल

अमृतमय हिंदुस्तान वह है जो केवल हिंदूका नहीं है; पर साथ में मुसलमान, पारसी, ईसाई और सिख का भी उतना ही है जितना हिंदुओं का।