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विडंबना पर कविताएँ

भगोड़ा

डेविड डियॉप

हम अहिना रहब

अरुणाभ सौरभ

बुरा मनिहयँ

रफ़ीक़ शादानी

समय-सन्दर्भ

सुस्मिता पाठक

चौबीस घंटा पहिले

रफ़ीक़ शादानी

का होइ

श्यामसुंदर मिश्र 'मधुप'

खिचरी

भारतेंदु मिश्र

भीत हिरणी

सुस्मिता पाठक

बादाम कहित हय

रफ़ीक़ शादानी

तुम भाड़ा दइ पइहौ

रफ़ीक़ शादानी

नीक लोकतंत्रु भा

श्यामसुंदर मिश्र 'मधुप'

ओफ्ओह

रफ़ीक़ शादानी

राजमिस्त्री

मुख्तार आलम

पंडा अउर वकील

रफ़ीक़ शादानी

हमयँ अब देखात हय

रफ़ीक़ शादानी

सहर आये मँजनू

श्यामसुंदर मिश्र 'मधुप'

क्षमा करब हे बापू

मुख्तार आलम

विडम्बना

सुरेन्द्र झा 'सुमन'

विडंबना

विभूति तिवारी