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समाज पर कविताएँ

थोड़ी धरती पाऊँ

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

बुरे समय में नींद

रामाज्ञा शशिधर

लोकतंत्र का समकालीन प्रमेय

जितेंद्र श्रीवास्तव

दस के पाँच नोट

अतुल तिवारी

भद्रता

येव्गेनी येव्तुशेंको

कनॉट प्लेस

जगदीश चतुर्वेदी

बहुरूपिया

विंदा करंदीकर

कौन ज़मीन का धणी?

कन्हैयालाल सेठिया

असर

अमिताभ

शराफ़त के पुल

अतिया दाऊद

मृतक के लिए प्रार्थना

सर्गेई येसेनिन

जोखिम

अमित तिवारी

बेदख़ल

कुमार मंगलम

चुप्पी का समाजशास्त्र

जितेंद्र श्रीवास्तव

फिर एक शाम

अपूर्वा श्रीवास्तव

क़द बढ़ता जाता है

आश्लेषा महाजन

अर्ज़ी

रमाशंकर सिंह

तुम्हारे आलिंगन में

अपूर्वा श्रीवास्तव

चम्मच

कुमार वीरेंद्र

हम दोनों

कौशल किशोर

मँगरा कीड़ा

चंद्रेश्वर

कविता क्या होती है...

राजदीप सिंह इंदा

बागी

तृषान्निता

सोचो एक दिन

हरे प्रकाश उपाध्याय

रोटी

प्रवीण गढ़वी

महज़ सात वर्षों की उमर में

अपूर्वा श्रीवास्तव

तुम आना

पवन चौहान

अनपढ़ औरत

आलोक रंजन

मणिपुर

निवेदिता झा

आत्म परिचय

भावना झा

अपमान

हरे प्रकाश उपाध्याय

पुल

राम प्रवेश रजक

हक़

नीलम शंकर

नारी

राहुल देहलवी