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जीवन शैली पर उद्धरण

जिन्होंने सभ्यता को रुटीन के रूप में स्वीकार कर लिया है, उनके भीतर कोई बेचैनी नहीं उठती। वे दिन-भर दफ्तरों में काम करते हैं और रात में क्लबों के मज़े लेकर आनन्द से सो जाते हैं और उन्हें लगता है, वे पूरा जीवन जी रहे हैं।

रामधारी सिंह दिनकर

संग्रहणीय वस्तु हाथ आते ही उसका उपयोग जानना, उसका प्रकृत परिचय प्राप्त करना, और जीवन के साथ-ही-साथ जीवन का आश्रयस्थल बनाते जाना—यही है रीतिमय शिक्षा।

रवींद्रनाथ टैगोर

वैज्ञानिक ढंग या स्वभाव जीवन का ढंग है, या कम-से-कम उसे ऐसा होना चाहिए।

जवाहरलाल नेहरू

कृषिप्रधान संस्कृति में महत्त्वाकांक्षा के पनपने की ज़्यादा जगह नहीं है।

श्रीलाल शुक्ल

यह जगत का निजी अनुभव है कि आधा छटाँक भर आचरण का जितना फल होता है उतना मन भर भाषणों अथवा लेखों का नहीं होता।

महात्मा गांधी

घाघ की लोकोक्तियों में सुख की चरमसीमा यही है कि घर पर पत्नी घी से मिली हुई दाल को तिरछी निगाहों से देखते हुए परोस दे। ऐसी स्थिति में गाँव का आदमी जब बाहर निकलता है तो पहला कारण तो यही समझना चाहिए कि संभवतः वहाँ दाल-रोटी का साथ छूट चुका है, तिरछी निगाहें टेढ़ी निगाहों में बदल गई हैं।

श्रीलाल शुक्ल

जिस प्रतिज्ञा के धर्म को अबोध व्यक्ति तक जानता है, उसे प्रसिद्धधर्मा कहते हैं। यथा, शब्द कानों से ग्रहण किया जाता है।

भामह

हमारे पास जो समय है, उसका सदुपयोग करें और उसको ऐसे कामों में दे दें, जिससे प्रेमभाव क़ायम हो।

महात्मा गांधी

जो प्रवृत्ति वर्ग-विशिष्ट जीवन-यापन-पद्धति के प्रतिकूल जाएगी, वह या तो दब जाएगी, नष्ट हो जाएगी अथवा उस व्यक्ति को अपने वर्ग से भटका देगी।

गजानन माधव मुक्तिबोध

ब्रह्मचर्य का पालन करना हो तो स्वादेंद्रिय पर प्रभुत्व प्राप्त करना ही चाहिए।

महात्मा गांधी

किसान के बराबर सर्दी, गर्मी, मेह, और मच्छर-पिस्सू वगैरा का उपद्रव कौन सहन करता है?

सरदार वल्लभ भाई पटेल

ब्रह्मचर्य के संपूर्ण पालन का अर्थ है: ब्रह्म दर्शन—यह ज्ञान मुझे शास्त्र द्वारा नहीं हुआ।

महात्मा गांधी

सादा मेहनत-मजदूरी का, किसान का जीवन ही सच्चा जीवन है।

महात्मा गांधी

'कहानी का नेपथ्य' दैनिक जीवन के नेपथ्य जैसा नहीं है। दैनिक जीवन के नेपथ्य में ख़ुराफ़ात होती है, मंत्रणा होती है।

कृष्ण कुमार

भगवान ने मनुष्य का शरीर इतना सर्वांग सुंदर बनाया है कि उसमें रत्तीभर सुधार की गुंजाइश नहीं। लेकिन श्रम का त्याग करके, और ग़लत आहार-विहार अपनाकर हम लोग ही उसे कुरूप बना देते हैं।

अमृतलाल वेगड़

वस्तुतः योग जीवन की एक शैली है—न कि स्वयं को युवा बनाए रखने के लिए कुछ एक व्यायामों का अभ्यास मात्र।

जे. कृष्णमूर्ति

आहार-विहार की भूलों को दूर किए बिना, सिर्फ़ हवा-पानी के सुधार से रोग दूर करने की इच्छा करना—शरीर को साफ़ पानी से धोकर मैले गमछे से पोंछने जैसा है।

महात्मा गांधी

यदि स्वाद को जीत लिया जाए, तो ब्रह्मचर्यका पालन बहुत सरल हो जाता है।

महात्मा गांधी

वे स्थान जहाँ हम अपना समय बिताने का चयन करते हैं, वह निर्णय करता है कि हम अपने लिए कैसा जीवन बना रहे हैं।

अशदीन डॉक्टर

हमारे किसानों की निरक्षरता की दुहाई देना एक फ़ैशन-सा हो गया है, लेकिन किसान निरक्षर होकर भी बहुत से साक्षरों से ज्यादा चतुर है। साक्षरता अच्छी चीज़ है और उससे जीवन की कुछ समस्याएँ हल हो जाती हैं, लेकिन यह समझना कि किसान निरा मूर्ख है, उसके साथ अन्याय करना है। वह परोपकारी है, त्यागी है, परिश्रमी है, किफ़ायती है, दूरदर्शी है, हिम्मत का पूरा है, नीयत का साफ़ है, दिल का दयालु है, बात का सच्चा है, धर्मात्मा है, नशा नहीं करता, और क्या चाहिए। कितने साक्षर हैं जिनमें ये गुण पाए जाएँ। हमारा तज़रबा तो ये है कि साक्षर होकर आदमी काइयाँ, बदनीयत, क़ानूनी और आलसी हो जाता है।

प्रेमचंद

हमें ख़ुद से पूछना चाहिए, क्या मैं अपने जीने के तरीके को बदलना चाहता हूँ? क्या मैं इसके लिए तैयार हूँ? अगर आपका दिन पिछले दिन से बेहतर नहीं है, तो यह दु:खद है।

शम्स तबरेज़

भक्तों ने रहनि को (रहन-सहन को), ‘वे ऑफ लाइफ’ को महत्त्व दिया है।

नामवर सिंह

बाह्य उपचारों में जिस तरह आहार के प्रकार और परिमाण की मर्यादा आवश्यक है, उसी तरह उपवास के बारे में भी समझना चाहिए।

महात्मा गांधी

जैसे-जैसे मेरे जीवन में सादगी बढ़ती गई, वैसे-वैसे रोगों के लिए दवा लेने की मेरी अरूचि जो पहले से ही थी—बढ़ती गई।

महात्मा गांधी

कभी-कभी रोजमर्रा की ज़िंदगी की नीरसता में हम खेल के महत्व को भूल जाते हैं।

अशदीन डॉक्टर

अगर हम रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी एक घटना को ठीक से नहीं बता पाते तो हम पूरे ब्रह्मांड से जुड़े बड़े सवालों के बारे में इतनी आसानी से कैसे सोच सकते हैं?

लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई

सकारात्मकता को बढ़ाने की आपकी सुपर सरल आदत, आपके चारों ओर सकारात्मकता का वातावरण बनाने से शुरू होती है।

अशदीन डॉक्टर

ख़ुशी को रोजमर्रा की आदत बनाने के दो सरल तरीक़े हैं–अपने नकारात्मक या उदास विचारों को पकड़ें और उन्हें सकारात्मक विचारों से बदल डालें।

अशदीन डॉक्टर

व्यस्तता को दूर रखें और इसके बजाए उन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करें, जो वास्तविक उत्पादकता की ओर ले जाती हैं।

अशदीन डॉक्टर

व्यस्त गतिविधियाँ दलदल की तरह होती हैं, वे आपको खींच सकती हैं और निगल सकती हैं।

अशदीन डॉक्टर