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प्रकृति पर कविताएँ

प्रकृति-चित्रण काव्य

की मूल प्रवृत्तियों में से एक रही है। काव्य में आलंबन, उद्दीपन, उपमान, पृष्ठभूमि, प्रतीक, अलंकार, उपदेश, दूती, बिंब-प्रतिबिंब, मानवीकरण, रहस्य, मानवीय भावनाओं का आरोपण आदि कई प्रकार से प्रकृति-वर्णन सजीव होता रहा है। इस चयन में प्रस्तुत है—प्रकृति विषयक कविताओं का एक विशिष्ट संकलन।

जंगल

लक्ष्मीनारायण पयोधि

कोई लाके मुझे दे

दामोदर अग्रवाल

आत्म-मृत्यु

प्रियंका दुबे

ओस

सोहनलाल द्विवेदी

प्रेमपत्र

सुधांशु फ़िरदौस

हवा

शिवचरण सरोहा

सीखो

श्रीनाथ सिंह

आँधी

इस्माइल मेरठी

आओ, मिलकर बचाएँ

निर्मला पुतुल

थोड़ी धरती पाऊँ

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

मातृभूमि

सोहनलाल द्विवेदी

एक धुन

आशीष त्रिपाठी

जब पीले ने कहा

राजेश सकलानी

पानी और धूप

सुभद्राकुमारी चौहान

एक वृक्ष की हत्या

कुँवर नारायण

ओ माँ

अमन त्रिपाठी

शिमला

अखिलेश सिंह

जीवन का अर्थ

कान्स्तैंतीन बालमोंत

निशा और उषा

बोरीस पस्तेरनाक

भारतीय की प्रेमिका

विलियम बटलर येट्स

मैं क्यों आया?

कान्स्तैंतीन बालमोंत

सावन में यह नदी

कृष्ण मुरारी पहारिया

नदी

जॉन एशबेरी

नन्हा हिरन

डी. एच. लॉरेंस

खोज

फेदेरीको गार्सिया लोर्का

पतझर

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

बादाम का वृक्ष

निकेफ़ोरॉस व्रेताकॉस

बाँसुरी-गीत

लियोपोल्ड सेडार सेंगोर

गिलहरी के प्रति

विलियम बटलर येट्स

भ्रम

मुज़फ़्फ़र आज़िम

इकतारे का गीत

लियोपोल्ड सेडार सेंगोर

भगवान के डाकिए

रामधारी सिंह दिनकर

पतझड़ की शाम

सर्गेई येसेनिन

वे दो

एलेन गिन्सबर्ग

एक दुर्लभ क्षण

हरेकृष्ण डेका

मछली

विलियम बटलर येट्स

नदी का बुलावा

गाब्रियल ओकारा

कुछ पेड़

जॉन एशबेरी

एक तार

ज़्बीग्न्येव हेर्बेर्त

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