
ईसा और बुद्ध के काम के तल को मैं कहीं गहरा मानता हूँ। इतिहास पर इसलिए उसका परिणाम भी गंभीर है। मार्क्स और लेनिन के काम और विचार का स्तर सामाजिक था और उसका तल उपयोगिता का है। मानव-जीवन के परिपूर्ण संस्कार का प्रश्न उसमें नहीं समा जाता है। समाज क्रांति के अभी ही नए-नए सूत्र निकलने लगे हैं और उनकी अपेक्षा में मार्क्सवाद पुराना पड़ता लगता है।