मंदिर पर कविताएँ

मंदिर भारतीय सांस्कृतिक

जीवन का अभिन्न अंग रहे हैं। सांप्रदायिक सौहार्द के कविता-संवाद में मंदिर-मस्जिद का उपयोग समूहों और प्रवृत्तियों के रूपक की तरह भी किया गया है। इस चयन विशेष में उन कविताओं का संकलन किया गया है, जहाँ मंदिर प्रमुख विषय या संदर्भ की तरह आए हैं।

दोहराव

सौरभ अनंत

भुवनेश्वर 2019

गिरिराज किराडू

मलेदेगुल

पु. ति. नरसिम्हाचार

मंदिर

विपिन कुमार अग्रवाल

मंदि‍र के अहाते से

नरेश चंद्रकर

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

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