 
            लेखक—जो कोई भी सही अर्थ में आधुनिक है और बुद्धिजीवी है, उसे अपने जीवन और अपने समाज के हर मोर्चे पर पूरी सचाई, पूरी ईमानदारी के साथ पक्षधर होकर, क्रांतिकारी होकर, अपने वर्ग, अपने समूह, अपने जुलूस का मुखपात्र, प्रवक्ता होकर सामने आना होगा—उसे आख़िरी क़तार में सिर झुकाए हुए खड़े रहना नहीं होगा।
 
            क्रांतिकारी क्रांतियाँ नहीं करते हैं। क्रांतिकारी वे होते हैं जो जानते हैं कि ताक़त कब गलियों में गिरी होती है और फिर वे इसे उठा सकते हैं।
 
            जो व्यक्ति अपनी काया-पलट कर सकता है, वही क्रांतिकारी है।
