जंगल पर कविताएँ

जंगल एक आदिम उपस्थिति,

एक पारितंत्र और जीवन के स्रोत के साथ ही एक प्रवृत्ति का प्रतिनिधि है। इस चयन में जंगल विषयक कविताओं का संग्रह किया गया है।

प्रेमपत्र

सुधांशु फ़िरदौस

परवाह

जसिंता केरकेट्टा

पहाड़ पर लालटेन

मंगलेश डबराल

सतपुड़ा के जंगल

भवानीप्रसाद मिश्र

पेड़ों का अंतर्मन

हेमंत देवलेकर

चिड़िया को

सुमित त्रिपाठी

हँसी-ख़ुशी

शैलेंद्र साहू

पृष्ठ के पक्ष में

अमिताभ चौधरी

युवा जंगल

अशोक वाजपेयी

उस दिन का जंगल

लीलाधर जगूड़ी

बढ़ई का बेटा

कृष्ण कल्पित

जंगल की आग

शुभम नेगी

बाघ

ललन चतुर्वेदी

अभयारण्य

अजंता देव

जंगल की कविता

कैलाश वाजपेयी

साहेब! कैसे करोगे ख़ारिज?

जसिंता केरकेट्टा

प्रदक्षिणा है यह

शिरीष ढोबले

संकेत

संजय चतुर्वेदी

चंद्रोदय

श्रीनरेश मेहता

जंगल

अनुभव

नदी का विलाप

आलोक आज़ाद

बस्तर बैलाडीला

शैलेंद्र साहू

दिन कोई जंगल है

पारुल पुखराज

टुकड़े में जंगल

प्रकृति करगेती

प्रार्थनाएँ जंगल की

अरविंद चतुर्वेद

जंगल में कवि

भगतसिंह सोनी

कुल्‍हाड़ी

नवीन रांगियाल

जंगल

लवली गोस्वामी

सशंकित

श्रीनरेश मेहता

जंगल

वसीम अकरम

आज हैं केसर रंग रँगे वन

गिरिजाकुमार माथुर

दावाग्नि में जंगल

पद्मजा घोरपड़े

जलते हुए जंगल के पास

विजय देव नारायण साही

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