उदासी पर उद्धरण

उदासी हमेशा के लिए रहेगी।

विन्सेंट वॉन गॉग

अगर मैं दुख के बग़ैर रह सकूँ, तो यह सुख नहीं होगा; यह दूसरे दुख की तलाश होगी; और इस तलाश के लिए मुझे बहुत दूर नहीं जाना होगा; वह स्वयं मेरे कमरे की देहरी पर खड़ा होगा, कमरे की ख़ाली जगह को भरने…

निर्मल वर्मा
  • संबंधित विषय : सुख

यह अजीब बात है, जब तुम दो अलग-अलग दुखों के लिए रोने लगते हो और पता नहीं चलता, कौन-से आँसू कौन-से दुख के हैं।

निर्मल वर्मा

किसी दुःख के परिणाम से कोई ज़हर नहीं खा सकता। यह तो षड्यंत्र होता है। आदमी को बुरी तरह हराने के बाद ज़हर का विकल्प सुझाया जाता है।

विनोद कुमार शुक्ल

‘उदास’ शब्द ‘उदासी’ की जगह नहीं ले सकता।

निर्मल वर्मा

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