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नफ़रत पर कविताएँ

नफ़रत या घृणा वीभत्स

रस का स्थायी भाव है। इसे चित् की खिन्नता की स्थिति के रूप में चिह्नित किया जाता है। इस चयन में नफ़रत के मनोभाव पर विचार-अवकाश लेती कविताओं का संकलन किया गया है।

भव्यता के विरुद्ध

रविशंकर उपाध्याय

कौन मुझको युद्ध को ललकारता है

कृष्ण मुरारी पहारिया

पति की प्रेमिका के नाम

रश्मि भारद्वाज

एक अजीब-सी मुश्किल

कुँवर नारायण

घृणा भी करनी पड़ी

केशव तिवारी

कर्बला

राजेश जोशी

कुछ मनोभाव

प्रियदर्शन

नफ़रत के ज़हर से

अजीत रायज़ादा

तेईस

दर्पण साह

नफ़रत करो

राजेश जोशी

कभी जब

विमलेश त्रिपाठी

विषम

मनीष कुमार यादव

उस आदमी ने कहा

विशाल श्रीवास्तव

तब्दील

अंकिता रासुरी

ख़तरनाक

लीलाधर मंडलोई

दो भाई

शंकरानंद

घृणा

सी. बी. भारती

अमेरिका का प्यार

विष्णु नागर

यह शहर

त्रिभुवन

सुविधा के लिए

मोना गुलाटी

छुछदुलार

मुसाफ़िर बैठा

नफ़रत

अनिल कुमार सिंह

अमरनाथ 2017

स्वाति मेलकानी

घृणा

पायल भारद्वाज

तुमने मुझसे

पूनम अरोड़ा

घृणा

राजेश कमल