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जनता पर उद्धरण

जनता अच्छी तरह जानती है कि नेता भावनाओं के व्यापारी होते हैं, फिर भी उनकी बातों में जाती है।

कृष्ण कुमार

जनता शिक्षित हो या अशिक्षित—स्मृति सबकी बराबर होती है।

कृष्ण कुमार

हे निशाचर! जो लोक-विरोधी कठोर कर्म करने वाला है, उसे सब लोग सामने आए हुए दुष्ट सर्प की भाँति मारते हैं।

वाल्मीकि

जय बोलने के मामले में हिंदुस्तानी का भला कोई मुक़ाबला कर सकता है।

श्रीलाल शुक्ल

क्रांति आम जनता और व्यक्ति से शक्ति के संचय तथा संधान की माँग करती है।

व्लादिमीर लेनिन

चाहिए यह कि लीडर तो जनता की नस-नस की बात जानता हो, पर लीडर के बारे में कुछ भी जानता हो।

श्रीलाल शुक्ल

मूर्खता, दुर्बलता, पक्षपात, ग़लत धारणा, ठीक धारणा, हठधर्मिता और समाचारपत्रों के अंशों के मिले-जुले रूप का नाम जनमत है।

रॉबर्ट पील

गोस्वामी जी पूरे लोकदर्शी थे। लोक-धर्म पर आघात करने वाली जिन बातों का प्रचार उनके समय में दिखाई पड़ा, उनकी सूक्ष्म दृष्टि उन पर पूर्ण रूप में पड़ी।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

‘जनता शांति चाहती है’, ‘हमारी सभ्यता की नींव विश्वबंधुत्व और प्रेम पर पड़नी चाहिए’ आदि-आदि किताबी बातें सुनकर कमीना-से-कमीना देश भी सिर हिलाकर ‘हाँ’ करने से बाज़ नहीं आता और उस राजनीतिज्ञ का यह भ्रम और भी फूल जाता है कि उसने कितनी सच्ची बात कही है।

श्रीलाल शुक्ल

तुम्हें खाने-पीने पहनने-ओढ़ने का कष्ट तभी तक है जब तक कि जनता हो और अगर तुम इन कष्टों से छुटकारा चाहते हो तो जनतापन छोड़कर बड़प्पन हथियाने की कोई तरकीब निकालो।

श्रीलाल शुक्ल

दुनिया का नया देवता 'जनता' है। दुनिया की सारी चीज़ें सभी के लिए हैं। सभी कुछ हर एक के लिए है। जीवन का सर्वस्व एकता में है। सारा जीवन हर एक के लिए है और हर एक सारे जीवन के लिए है।

मैक्सिम गोर्की

वैर का आधार व्यक्तिगत होता है, घृणा का सार्वजनिक।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

देश का भविष्य नेताओं और मंत्रियों की मुट्ठी में नहीं है, देश की जनता के ही हाथ में है।

यशपाल

जनता के लिए, जनता द्वारा, जनता की सरकार।

अब्राहम लिंकन

राजाओं और दंडाधिकारियों की शक्ति उसके अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं है, जो जनता से व्युत्पन्न, रूपांतरित तथा अपने सार्वजनिक हित में उससे लेकर विश्वासपूर्वक उन्हें सौंप दी गई है, उस जनता से जिसमें शक्ति मूलतः सन्निहित है और लोगों के प्राकृतिक जन्मसिद्ध अधिकार का उलंघन किए बिना उनसे नहीं ली जा सकती।

जॉन मिल्टन

जनता की वाणी ईश्वर की वाणी है।

वाल्टर रेनॉल्ड्स

मनु के अनुसार स्त्री उत्तम संतति और प्रजाविशुद्धि का हेतु है।

वासुदेवशरण अग्रवाल

जनमत विधायिका की अपेक्षा अधिक सशक्त होता है। और लगभग उतना ही शक्तिशाली है जितने दस धर्मनियम।

चार्ल्स डुडले वार्नर

जनता के लिए सबसे अधिक शोर मचाने वालों को उसके कल्याण के लिए सबसे उत्सुक मान लेना सर्वसामान्य प्रचलित त्रुटि है।

एडमंड बर्क

साम्यवादी लोग बीजों के समान हैं और जनता भूमि के समान है। जहाँ भी हम जाएँ, हमें जनता से घुलना-मिलना चाहिए, उनमें जड़ पकड़नी चाहिए और उनमें फलना फूलना चाहिए।

माओ ज़ेडॉन्ग

जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने ज़ालिम से ज़ालिम हुकूमत भी नहीं टिक सकती।

सरदार वल्लभ भाई पटेल

सभी तथाकथित शक्तिशाली प्रतिक्रियावादी काग़ज़ी शेरों से अधिक नहीं हैं, क्योंकि वे अपनी जनता से कटे हुए हैं।

माओ ज़ेडॉन्ग

लोगों का मुँह कौन बंद करेगा?

श्रीहर्ष

तुम्हारे क़ायदा-कानून जानने से कुछ नहीं होता। जानने की बात सिर्फ़ एक है कि तुम जनता हो और जनता आसानी से नहीं जीतती।