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गाँव पर उद्धरण

महात्मा गांधी ने कहा

था कि भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। आधुनिक जीवन की आपाधापी में कविता के लिए गाँव एक नॉस्टेल्जिया की तरह उभरता है जिसने अब भी हमारे सुकून की उन चीज़ों को सहेज रखा है जिन्हें हम खोते जा रहे हैं।

प्रतिभाएँ, साधारणतया, गाँवों में जन्म लेती हैं, महानगरों में आकर विकास पाती हैं और एक पीढ़ी के बाद फिर नष्ट हो जाती हैं, क्योंकि जाति की असली ऊर्जा का निवास महानगरों में नहीं होता। महानगर वह स्थान है जहाँ शक्ति और प्रतिभा की दुकान चलाई जाती है, ये शक्तियाँ वहाँ पैदा नहीं होतीं।

रामधारी सिंह दिनकर

गाँव के गँवईपन में भी एक तरह की शोभन सभ्यता है यह शहरी गँवई बहुत कुत्सित है।

आशापूर्णा देवी
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भला नगर के होते हुए रत्न की परख गाँव में की जाती है?

कालिदास

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