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बच्चे पर कविताएँ

हिंदी के कई कवियों ने

बच्चों के वर्तमान को संसार के भविष्य के लिए समझने की कोशिश की है। प्रस्तुत चयन में ऐसे ही कवियों की कविताएँ संकलित हैं। इन कविताओं में बाल-मन और स्वप्न उपस्थित है।

एक आलसी टीचर के नोट्स

घनश्याम कुमार देवांश

भूख

नरेश सक्सेना

मातृभाषा की मौत

जसिंता केरकेट्टा

मेरी दुनिया के तमाम बच्चे

अदनान कफ़ील दरवेश

नक़्शा

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

जीवन-चक्र

रवि प्रकाश

एक माँ की बेबसी

कुँवर नारायण

मछलियाँ

नरेश सक्सेना

भुट्टे

अज्ञात

गुड़िया

कुँवर नारायण

पहला नाम

प्रेम रंजन अनिमेष

एक कहानी आसमान की

प्रमोद पाठक

मेरे बच्चे

शरद बिलाैरे

चाय पर चर्चा

अंकिता आनंद

अच्छे बच्चे

नरेश सक्सेना

धरती

शरद बिलाैरे

घर

दिविक रमेश

बच्चा

भगवत रावत

बढ़े चलो

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

बच्चे

अमिताभ

वाह, मेरे घोड़े

रमेश तैलंग

मेघ आए

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

स्वागत

सिल्वा कपुतिक्यान

एक जुलाई

संदीप तिवारी

मोजे़ में रबर

शुभम श्री

झूला

नरेंद्र जैन

बच्चे

सुघोष मिश्र

बच्ची के लिए

विनय दुबे

बचपन की कविता

मंगलेश डबराल

बूबू

शुभम श्री

सड़क पर

इब्बार रब्बी

गुरु और चेला

सोहनलाल द्विवेदी

प्राथमिक स्कूल

चंद्रकांत देवताले

तवांग के बच्चे

घनश्याम कुमार देवांश

खिलौनेवाला

सुभद्राकुमारी चौहान

नया बस्ता

हेमंत कुकरेती

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