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हिंसा पर कविताएँ

हिंसा अनिष्ट या अपकार

करने की क्रिया या भाव है। यह मनसा, वाचा और कर्मणा—तीनों प्रकार से की जा सकती है। हिंसा को उद्घाटित करना और उसका प्रतिरोध कविता का धर्म रहा है। इस चयन में हिंसा विषयक कविताओं को शामिल किया गया है।

सफ़ेद रात

आलोकधन्वा

विध्वंस की शताब्दी

आस्तीक वाजपेयी

हिंदू वाली फ़ाइल्स

बच्चा लाल 'उन्मेष'

अस्मिता

ज़ुबैर सैफ़ी

इतिहास में अभागे

दिनेश कुशवाह

उदाहरण के लिए

नरेंद्र जैन

जीवन-चक्र

रवि प्रकाश

क्रूरता

दूधनाथ सिंह

समय

आशीष त्रिपाठी

स्‍त्री और आग

नवीन रांगियाल

तो फिर वे लोग कौन हैं?

गुलज़ार हुसैन

निष्कर्ष

शुभांकर

झोंटा

तादेऊष रूज़ेविच

उस वक़्त कहाँ थे तुम

नाज़िश अंसारी

उसने कहा मुड़ो

वियोगिनी ठाकुर

मौत

अतुल

सन् 3031

त्रिभुवन

ख़तरा

कुमार अम्बुज

गिद्ध कलरव

अणुशक्ति सिंह

युग की आवाज़

नीलबीर शर्मा शास्त्री

वियतनाम

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

अबॉर्शन

दामिनी यादव

ज़िबहख़ाने

अखिलेश श्रीवास्तव

हम और दृश्य

रूपम मिश्र

यास्वो के नज़दीक भुखमरी शिविर

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

ख़ूबसूरती

सारुल बागला

महाभारत

अच्युतानंद मिश्र

व्यवस्थाएँ

अविनाश मिश्र

कथा देश की

रमाशंकर यादव विद्रोही

मेरा गला दबा दो माँ

नाज़िश अंसारी

सरिये

नवीन रांगियाल

कभी नहीं सोचा था

सुरजीत पातर

सकुशल अपार

नवीन सागर