गुरु पर सबद

मध्यकालीन काव्य में

गुरु की महिमा की समृद्ध चर्चा मिलती है। प्रस्तुत संचयन में गुरु-संबंधी काव्य-रूपों और आधुनिक संदर्भ में शिक्षक-संबंधी कविताओं का संग्रह किया गया है।

कतिक करम कमावणे

गुरु अर्जुनदेव

हम घरि साजन आए

गुरु नानक

बारहमासा

तुलसी साहब

सावण सरसी कामणी

गुरु अर्जुनदेव

जग में संत भये कैसे भारी

दरिया (बिहार वाले)

धनि-धनि पीव की राजधानी हो

तुरसीदास निरंजनी

घर आग लगावे सखी

संत शिवदयाल सिंह

प्रेमी सुनो प्रेम की बात

संत शिवदयाल सिंह

चूनर मेरी मैली भई

संत शिवदयाल सिंह

रे नर ऐसा गुरु ना कीजै

दरिया (बिहार वाले)

साधो धोखे सब जग मारा

दरिया (बिहार वाले)

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