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प्रयास पर उद्धरण

मैंने स्वतंत्र होने के लिए अपने तरीक़े से प्रयास किया है।

लियोनार्ड कोहेन

हर पाप ख़ालीपन से भागने का प्रयास है।

सिमोन वेल
  • संबंधित विषय : पाप

सभी पाप ख़ालीपन को भरने के प्रयास होते हैं।

सिमोन वेल
  • संबंधित विषय : पाप

दैव और पुरुषार्थ दोनों एक दूसरे के सहारे रहते हैं, परंतु उदार विचार वाले पुरुष सर्वदा शुभ कर्म करते हैं और नपुंसक दैव के भरोसे पड़े रहते हैं।

वेदव्यास

भाग्यरहित पुरुषार्थ और पुरुषार्थरहित भाग्य सर्वत्र व्यर्थ हो जाते हैं। इन दोनों में पहला पक्ष ही सिद्धांतभूत एवं श्रेष्ठ है अर्थात् दैव के सहयोग के बिना पुरुषार्थ काम नहीं देता है।

वेदव्यास

पुरुषार्थी सर्वत्र भाग्य के अनुसार प्रतिष्ठा प्राप्त करता है, परंतु पुरुषार्थहीन सम्मान से भ्रष्ट होकर घाव पर नमक छिड़कने के समान कष्ट पाता है।

वेदव्यास

पुरुषार्थहीन भाग्य अथवा भाग्यहीन पुरुषार्थ इन दो ही कारणों से मनुष्य का उद्योग निष्फल होता है।

वेदव्यास

पुरुषार्थहीन मनुष्य इस संसार में कभी फलता फूलता नहीं। मनुष्य को कुमार्ग से हटाकर सुमार्ग में लगा दे—ऐसी भाग्य में शक्ति नहीं है। पहले किया हुआ पुरुषार्थ ही एकत्रित होकर भाग्य बनकर गुरु के समान अपने अभीप्सित स्थान पर ले जाता है।

वेदव्यास

पुरुषार्थ का सहारा पाकर ही भाग्य भली भाँति बढ़ता है।

वेदव्यास

किया हुआ पुरुषार्थ ही भाग्य का अनुसरण करता है। दैव किसी भी व्यक्ति को बिना पुरुषार्थ के कुछ नहीं दे सकता।

वेदव्यास

जैसे बीज खेत में बोए बिना निष्फल रहता है, उसी प्रकार पुरुषार्थ के बिना भाग्य भी सिद्ध नहीं होता।

वेदव्यास