धार्मिक वाद-विवाद में और झगड़े जो होते हैं वे नक़द धर्म पर नहीं होते, उधार धर्म पर होते हैं। नक़द धर्म वह है जो मरने के बाद नहीं किंतु वर्तमान जीवन से संबंध रखता है, उधार धर्मएतबारी अर्थात् अंधविश्वास पर निर्भर होता है। उधार धर्म कहने के लिए है, नक़द धर्म करने के लिए।