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पेड़ पर उद्धरण

इस विशिष्ट चयन में प्रकृति

के प्रतीक और जड़-ज़मीन-जीवन के संदर्भ के साथ पेड़ या वृक्ष कविता में अपनी ज़रूरी उपस्थिति दर्ज कराते नज़र आएँगे।

हवा ने बारिश को उड़ा दिया, उड़ा दिया आकाश को और सारे पत्तों को, और वृक्ष खड़े रहे। मेरे ख़याल से, मैं भी, पतझड़ को लंबे समय से जानता हूँ।

ई. ई. कमिंग्स

हमारा जीवन मनुष्यों के संपर्क से मुक्त होकर वृक्षों में वाणी, गतिशील सरिताओं में पुस्तकें, शिलाओं में सदुपदेश तथा प्रत्येक वस्तु में अच्छाई का दर्शन करने लगता है।

विलियम शेक्सपियर

हम ईश्वर से दो स्तरों पर विलगित हैं—‘पतन’ हमें उससे अलग करता है और ‘जीवन-वृक्ष’ उसे हमसे।

फ्रांत्स काफ़्का

मैं पेड़ नहीं, इसका अर्थ बनना चाहता हूँ।

ओरहान पामुक

युद्ध से पहले सेब का पेड़ चर्च के पीछे स्थित था। वह सेब का एक ऐसा पेड़ था जिसने अपने सेबों को खा लिया था।

हेर्टा म्युलर

जब कुल्हाड़ी जंगल में आई तो पेड़ ने कहा कि मूठ हममें से एक है।

एलिस वॉकर

समय बीतने पर उपार्जित विद्या नष्ट हो जाती है, मज़बूत जड़ वाले वृक्ष भी गिर पड़ते हैं, जल भी सरोवर में जाकर (गर्मी आने पर) सूख जाता है। किंतु हुत (हवनादि किया हुआ पदार्थ) या सत्पात्त को दिए दान का पुण्य ज्यों का त्यों बना रहता है।

भास

जीवन का आदर्श साँचे में ढाला पुरजा नहीं है, वृक्ष पर खिला पुष्प है। वह बटन दबाते ही खिंच जाने वाला फ़ोटो नहीं, ब्रश और उँगलियों की कारीगरी से धीरे-धीरे बनने वाला चित्र है।

कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर

विष-वृक्ष को भी स्वयं बढ़ाकर अपने ही हाथ से काटना ठीक नहीं।

कालिदास

वेद शास्त्रों में कहा है कि जिसका मूल अव्यक्त है, जो अनादि है, जिसकी चार त्वचाएँ, छः तने, पचीस शाखाएँ, अनेक पत्ते और बहुत से फूल हैं, जिनमें कड़ुवे और मीठे दो प्रकार के फल लगे हैं, जिस पर एक ही बेल है, जो उसी के आश्रित रहती है, जिसमें नित्य नए पत्ते और फूल निकलते रहते हैं, ऐसे संसार-वृक्ष स्वरूप आपको हम नमस्कार करते हैं।

तुलसीदास

जिनकी जड़ खोखली हो गई हो, वे वृक्ष जैसे अधिक काल तक खड़े नहीं रह सकते, उसी प्रकार पाप कर्म करने वाले लोकनिंदित क्रूर पुरुष ऐश्वर्य को पाकर भी चिरकाल तक उसमें प्रतिष्ठित नहीं रह पाते।

वाल्मीकि

वृक्ष फलों के उत्पन्न होने पर झुक जाते हैं। मेघ नए जलों से भरने पर नीचे को दूर तक लटक जाते हैं। सत्पुरुष समृद्धियाँ पाने पर विनम्र हो जाते हैं। परोपकारियों का यही स्वभाव है।

कालिदास

मूल से वृक्ष उखाड़ देने पर डाल काटने में क्या परिश्रम है?

भास

मुझे कई बार लगता है कि पेड़ शायद आदमी का पहला घर है।

केदारनाथ सिंह
  • संबंधित विषय : घर

तो मैं भगवान बनना चाहता हूँ और ही नायक। बस एक पेड़ में बदल जाऊँ, सदियों तक बढ़ता रहूँ और किसी को चोट पहुँचाऊँ।

चेस्लाव मीलोष

देखो वृक्ष को देखो वह कुछ कर रहा है।

किताबी होगा कवि जो कहेगा कि हाय पत्ता झर रहा है।

रघुवीर सहाय
  • संबंधित विषय : कवि

पेड़ चाहता है बहुत सारे पेड़ों के बीच का पेड़ होना।

नवीन सागर

तुम प्राय: कहते हो, 'मैं दान दूँगा, किंतु सुपात्र को ही।' तुम्हारी वाटिका के वृक्ष ऐसा नहीं कहते, तुम्हारे चरागाह की भेड़ें।

वे देते हैं, ताकि जी सकें, क्योंकि रखे रहना ही मृत्यु है।

खलील जिब्रान