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आत्म-शुद्धि पर उद्धरण

प्रार्थना उपवास बिना नहीं होती, और उपवास यदि प्रार्थना का अभिन्न अंग हो तो वह शरीर की मात्र यंत्रणा है, जिससे किसी का कुछ लाभ नहीं होता। ऐसा उपवास तीव्र आध्यात्मिक प्रयास है, एक आध्यात्मिक संघर्ष है। वह प्रायश्चित और शुद्धिकरण की प्रक्रिया है।

महात्मा गांधी

आत्मशुद्धि सबसे पहली चीज़ है, वह सेवा की अनिवार्य शर्त है।

महात्मा गांधी

पाप और पुण्य मात्र कृत्य ही नहीं हैं। वस्तुतः तो वे हमारे अंतःकरण के सोये होने या जागे होने की सूचनाएँ हैं।

ओशो

आत्मशुद्धि के बिना अहिंसा-धर्म का पालन थोथा स्वप्न ही रहेगा।

महात्मा गांधी

स्वयं के भीतर एक मौलिक परिवर्तन को जन्म देना जीवन भर का काम है—यह ऐसी चीज़ नहीं है जो सिर्फ़ कुछ दिनों के लिए है और बाद में इसे भूल जाना है।

जे. कृष्णमूर्ति