
ब्राह्मण, गौ, कुटुंबी, बालक, स्त्री, अन्नदाता और शरणागत- ये अवध्य होते हैं।

शरण या आज़ादी—और कोई रास्ता नहीं।

तू सब धर्मों को छोड़कर एक परमात्मा की शरण में जा, परमात्मा तुझे सब पापों से मुक्त करेगा। तू मत शोक कर।

जो मनुष्य जिस तरह मेरा आश्रय लेते हैं, उन्हें मैं वैसा ही फल देता हूँ। हे अर्जुन! मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं।
