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शरण पर उद्धरण

ब्राह्मण, गौ, कुटुंबी, बालक, स्त्री, अन्नदाता और शरणागत- ये अवध्य होते हैं।

वेदव्यास

शरण या आज़ादी—और कोई रास्ता नहीं।

रघुवीर चौधरी

तू सब धर्मों को छोड़कर एक परमात्मा की शरण में जा, परमात्मा तुझे सब पापों से मुक्त करेगा। तू मत शोक कर।

वेदव्यास

जो मनुष्य जिस तरह मेरा आश्रय लेते हैं, उन्हें मैं वैसा ही फल देता हूँ। हे अर्जुन! मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं।

वेदव्यास

सभी लोग उपस्थित आश्रय को क्षीण होते देखकर अनागत आश्रय को अपनाते हैं।

माघ