जिस प्रकार अतीत नष्ट होता है उसी प्रकार भविष्य निर्मित होता है।
जब पेंटिंग की बात आती है तो सबसे महत्त्वपूर्ण चीज़ों में से एक है—सही समय पर रुकने में सक्षम होना और यह जानना कि कोई तस्वीर क्या कह रही है, वह क्या कह सकती है। अगर आप बहुत लंबे समय तक लगे रहते हैं तो अक्सर तस्वीर बर्बाद हो जाएगी।
यदि शंकाओं का उचित समाधान नहीं किया गया तो वे विनाश की ओर अग्रसर करती हैं।
एक बार, मेरा जीवन मुझे मेरा जीवन बेहद संपूर्ण लगने लगा था। शायद हमको ख़ुद का विध्वंस करना होता है कि रच सकें हम कुछ नया।
हम आप जैसे लोगों से ईर्ष्या करते हैं, और हम आप जैसा बनना चाहते हैं; हम ऐसा नहीं कर सकते, इसलिए हम तुम्हें नष्ट कर देते हैं।
हर निर्णय मुक्ति प्रदान करता है, तब भी जब वह विनाश की ओर ले जाए। अन्यथा, क्यों इतने सारे लोग आँखें खोलकर सीधा चलते हुए अपने दुर्भाग्य में दाख़िल होते?
मैं उस बर्बादी के बारे में सोचकर परेशान हो जाती हूँ जो तब होती है, जब एक दूसरे से प्यार करने वाले लोग आपस में बात तक नहीं कर पाते हैं।
विनाश कठिन है। यह निर्माण जितना ही कठिन है।
जब संग्रह का अंत विनाश ही है, जब जीवन का अंत मृत्यु ही है और जब संयोग का अन्त वियोग ही है, तब इनमें कौन अपना मन लगावेगा?
धनंजय! किया हुआ पाप कहने से, शुभ कर्म करने से, पछताने से, दान करने से और तपस्या से भी नष्ट होता है।
यदि धर्म को नष्ट किया जाए तो वह मनुष्य का नाश कर देता है। इसमें संशय नहीं है।
यदि धर्म का नाश किया जाए तो वह कर्ता को नष्ट कर देता है और रक्षित धर्म कर्ता की रक्षा करता है।
नष्ट करना किसी भी तरह के रचने की पहली सीढ़ी है।
राजा दुर्मंत्र से नष्ट हो जाता है, यति संग से, पुत्र अधिक लालन से, ब्राह्मण अध्ययन न करने से, कुल कुपुत्र से शील दुष्टों के संसर्ग से, मित्रता प्रेम के अभाव से, समृद्धि अनीति से, स्नेह प्रवास में रहने से, स्त्री गर्व से, कृषि छोड़ देने से तथा धन प्रमाद से विनष्ट हो जाता है।
आपत्तिकाल में शांति के लिए वही उपाय उत्तम माना गया है, जो भली-भाँति श्रेष्ठ धर्म के अनुकूल हो। संकट से बचने के लिए उत्तरोत्तर अधर्म करने की प्रवृत्ति तो संपूर्ण जगत का नाश कर डालेगी।
यह जो सब कुछ है वह नाशवान है। ईश्वर के अतिरिक्त जितने नाम हैं, वे सब नष्ट होने वाले हैं।
खाओ, पिओ, जागो, बैठो अथवा खड़े रहे, पर दिन में एक बार भी यह सोच लो कि इस शरीर का नाश निश्चय है।
स्त्री की बुद्धि चंचल और विनाशकारी होती है।
यदि गांधीवाद ग़लत बात के लिए है तो इसे नष्ट हो जाने दो। सत्य और अहिंसा तो कभी नष्ट नहीं होगे। परंतु यदि गांधीवाद मतांधता का दूसरा नाम है, तो यह नष्ट कर देने योग्य ही है।
बुद्धिमान मनुष्य तीक्ष्ण शत्रु को तीक्ष्ण शत्रु से नष्ट कर देता है। सुख की प्राप्ति हेतु कष्टकारक काँटे को काँटे से ही निकालते हैं।
यदि एक पुरुष को मार देने से कुटुंब के शेष व्यक्तियों का कष्ट दूर हो जाए और एक कुटुंब का नाश कर देने से सारे राष्ट्र में शांति छा जाए तो वैसा करना सदाचार का नाशक नहीं है।
आविष्कार से एक क्षण में इतना विनाश हो जाता है जिसके पुनर्निर्माण में सारा युग लगता है।
विद्वान पुरुष कभी दुर्बल-से-दुर्बल शत्रुओं को नष्ट करने के लिए किसी अवसर की प्रतीक्षा नहीं करते। विशेषतः संकट में पड़े हुए शत्रुओं को मारकर बुद्धिमान पुरुष धर्म और यश का भागी होता है।
मैं न जन्म लेता हूँ, न बड़ा होता हूँ, न नष्ट होता हूँ। प्रकृति से उत्पन्न सभी धर्म देह के कहे जाते हैं। कर्तृत्व आदि अहंकार के होते हैं। चिन्मय आत्मा के नहीं। मैं स्वयं शिव हूँ।
समय बीतने पर उपार्जित विद्या नष्ट हो जाती है, मज़बूत जड़ वाले वृक्ष भी गिर पड़ते हैं, जल भी सरोवर में जाकर (गर्मी आने पर) सूख जाता है। किंतु हुत (हवनादि किया हुआ पदार्थ) या सत्पात्त को दिए दान का पुण्य ज्यों का त्यों बना रहता है।
नियम और नमूने प्रतिभा व कला का नाश करते हैं।
मृत्यु का भय और विनाश का भय केवल तुमको है,नहीं तो मृत्यु से तो अमरत्व का अंकुर फूटता है। ईसा की कृपा से मेरे प्राणों को वह शक्ति प्राप्त हुई है कि मृत्यु और आई मेरे जीवन से हाथ धोकर लौट गई।
यदि पापी अपने पाप का फल एकांत में या अपनी आत्मा ही में भोग कर चला जाता है तो वह अपने जीवन की सामाजिक उपयोगिता की एकमात्र संभावना को भी नष्ट कर देता है।
पुराना नष्ट होता है, समय परिवर्तित होता है और खंडहरों में से नया जीवन उदित होता है।
क्या बाल रवि अंधकार को नष्ट नहीं करता? क्या छोटी दावाग्नि जंगल नहीं जला देती? क्या बाल सिंह हाथी का दलन नहीं करता? क्या बाल सर्प डसता नहीं?
यह तृष्णा यद्यपि मनुष्यों के शरीर के भीतर ही रहती यह तृष्णा यद्यपि मनुष्यों के शरीर के भीतर ही रहती है, सो भी इसका कहीं आदि अंत नहीं है। लोहे के पिंड की आग के समान यह तृष्णा प्राणियों का विनाश कर देती है।
जननी का स्नेह, पत्नी का प्रेम, ज्ञानी मित्रों का आलाप और पिता का स्नेह एक-एक झरने के समान जीवन के एक-एक ताप का विनाश कर रहा है।
जो सेना के नष्ट हो जाने पर भी साथ देता है, वही मित्र है।
पराधीनता की ख़ास नींव अपने धर्म का नाश और दूसरे के धर्म की सेवा करने से पड़ती है।
अपना विनाश जानता हुआ बुद्धिमान व्यक्ति संकटकाल में कैसे असावधान हो सकता है?
मनुष्यों में अनभ्यास से विद्या का, असंसर्ग से बुद्धिमानों का तथा अनिग्रह से इंद्रियों का विनाश हो जाता है।
जो वस्तु अपनी रक्षा के लिए (उपयोगी) समझी जाती है, (भाग्यवश) उसी से व्यक्ति का नाश हो जाता है।
जीवन का कार्यक्रम है रचनात्मक, विनाशात्मक नहीं मनुष्य का कर्तव्य है अनुराग, विराग नहीं।
माता दुर्गे! तुम्हारी संतान हैं हम। हम तुम्हारे प्रसाद से, तुम्हारे प्रभाव से महत् कार्य के, महत् भाव के उपयुक्त हो जाएँ। विनाश करो क्षुद्रता का, विनाश करो स्वार्थ का, विनाश करो भय का।
विपक्ष का विनाश किए बिना प्रतिष्ठा दुर्लभ रहती है। धूलि को कीचड़ बनाए बिना पानी नहीं ठहरता।
(मृत्यु में) मेरा घर नष्ट होता है, मैं नहीं।
एक छेद भी जहाज़ को डुबा देता है और एक पाप भी पापी को नष्ट कर देता है।
कभी कुछ न माँगो क्योंकि इस माँग के अंदर ही निकृष्टता के चिह्न हैं। अतः तृष्णा और वासना का नाश कर दो।
नष्ट हुई लज्जा धर्म को नष्ट कर देती है। नष्ट हुआ धर्म मनुष्य की संपत्ति का नाश कर देता है और नष्ट हुई संपत्ति उस मनुष्य का विनाश कर देती है, क्योंकि धन का अभाव ही मनुष्य का वध है।
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