
जब तक इस संसार से पाप बिल्कुल ही मिटा न दिया जाएगा, जब तक मनुष्य का मन पत्थर न बन जाएगा, तब तक इस पृथ्वी में अन्याय-मूल भ्रांति होती ही रहेगी और उसे क्षमा करके प्रश्रय भी देना ही पड़ेगा।
जब तक इस संसार से पाप बिल्कुल ही मिटा न दिया जाएगा, जब तक मनुष्य का मन पत्थर न बन जाएगा, तब तक इस पृथ्वी में अन्याय-मूल भ्रांति होती ही रहेगी और उसे क्षमा करके प्रश्रय भी देना ही पड़ेगा।