जनता अच्छी तरह जानती है कि नेता भावनाओं के व्यापारी होते हैं, फिर भी उनकी बातों में आ जाती है।
इस दुनिया में उतने ही नकली और क्षुद्र गुरु हैं, जितने आसमान में तारे हैं।
जो लोग दोनों आँखें खोले हुए देखते हैं, लेकिन वास्तव में देख नहीं पाते, उन्हीं के कारण सारी गड़बड़ी है। वे आप भी ठगे जाते हैं और दूसरों को भी ठगने से बाज़ नहीं आते।
जब हम कविता की तीव्रता और ताज़गी लेते हैं और उस भावना को बनाए नहीं रख पाते, तो हम रूढ़ि अपना लेते हैं और उस भावना को खोखली श्रद्धांजलि अर्पित करने लगते हैं, जो किसी समय थी।
लेक्चर का मज़ा तो तब है जब सुननेवाले भी समझें कि यह बकवास कर रहा है और बोलनेवाला भी समझे कि मैं बकवास कर रहा हूँ। पर कुछ लेक्चर देनेवाले इतनी गंभीरता से चलते कि सुननेवाले को कभी-कभी लगता था यह आदमी अपने कथन के प्रति सचमुच ही ईमानदार है।
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आस्था का बाहरी दिखावा जल्दी ही ख़त्म हो जाता है।
खाने में लोभ करने वाला कुत्ते के समान, मिथ्या बोलने वाला भंगी, छल-कपट से दूसरे को खाने वाला शव-भक्षक होता है