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घृणा पर उद्धरण

स्त्रियाँ कभी क्रूरता पर नहीं रोतीं। वे दूसरों के दिए दर्द पर नहीं रोतीं। रोने के लिए उनका अपना दर्द ही काफ़ी होता है।

रघुनाथ चौधरी

जब हमें नहीं पता होता कि किससे नफ़रत करें, हम ख़ुद से शुरुआत करते हैं।

चक पैलनिक

घृणा हमें हमारे विरोधी से बहुत मज़बूती से बाँधकर हमें अपने जाल में फँसा लेती है।

मिलान कुंदेरा

हम इतिहास के बीचोबीच पैदा हुए हैं, यार! लक्ष्य, ठिकाना। कोई युद्ध नहीं हमारे सामने। कोई मंदी। हमारे सारे युद्ध अंदरूनी हैं, आध्यात्मिक हैं। हमारे लिए महान मंदी हमारा जीवन ही है। हम सबके बचपन टेलीविज़न देखते गुज़रे हैं—इस यक़ीन के साथ कि एक रोज़ हम भी भी लखपति होंगे, सिने-स्टार होंगे, रॉकस्टार होंगे; लेकिन नहीं होंगे हम। और धीरे-धीरे खुल रही है यह बात हमारे सामने। और हम नाराज़ हैं इस पर, बेहद नाराज़ हैं।

चक पैलनिक

आदमी ध्यान आकर्षित करने के लिए युद्ध करते हैं। सभी हत्याएँ आत्म-घृणा की अभिव्यक्ति हैं।

एलिस वॉकर

मानव-प्रकृति को दवाब से कितनी घृणा है।

प्रेमचंद

संपत्ति का यह स्वभाव है कि जितना ही उसका तिरस्कार करो, वह उतनी ही पास आती है।

रामकुमार वर्मा
  • संबंधित विषय : धन

निर्धनता मनुष्य में चिंता उत्पन्न करती है, दूसरों से अपमान कराती है, शत्रुता उत्पन्न करती है, मित्रों में घृणा का पात्र बनाती है और आत्मीय जनों से विरोध कराती है। निर्धन व्यक्ति की घर छोड़कर वन चले जाने की इच्छा होती है, उसे स्त्री से भी अपमान सहना पड़ता है। ह्रदयस्थित शोकाग्नि एक बार ही जला नहीं डालती अपितु संतप्त करती रहती है।

शूद्रक

वैर का आधार व्यक्तिगत होता है, घृणा का सार्वजनिक।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

कोई भी दुःखी आदमी घृणा के योग्य नहीं हो सकता।

इलाचंद्र जोशी

तुम जिसे घृणा करते हो, भाई, जिसे लात मारते हो, हो सकता है, उसके हृदय में दिन-रात भगवान निवास करते हों।

क़ाज़ी नज़रुल इस्लाम

किसी भी ग़लत ढाँचे से रोष या घृणा स्वयं में जीवन की निशानी है, सदा रही है।

अमृता प्रीतम

जब यह घृणा उत्पन्न करता है, तब मित्रता उत्पन्न करने की तुलना में, प्रचार अधिक सफल क्यों होता है?

बर्ट्रेंड रसेल

घृणा के बदले घृणा से सत्परिणाम नहीं प्राप्त होता है।

फ़्रेडरिक शिलर
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जिससे हम प्रायः डरते हैं कालांतर में उसी से घृणा करते हैं।

विलियम शेक्सपियर
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घृणा और द्वेष जो बढ़ता है वह शीघ्र ही पतन के गह्वर में गिर पड़ता है।

हजारीप्रसाद द्विवेदी

आज' से घृणा करना यह सिद्ध करता है कि 'कल' को ग़लत समझा गया है।

मौरिस मैटरलिंक