संसद को संविधान का दुश्मन मानकर आप संविधान की रक्षा कैसे कर सकते हैं? जनता को जनतंत्र का दुश्मन मान लिया जाए, तो फिर जनतंत्र की रक्षा कैसे होगी?
भारत में संविधान का जन्म वैसे ही हुआ जैसे बाइबिल में पृथ्वी का जन्म बतलाया गया है। ईश्वर ने कहा कि संविधान हो और वह हो गया। संविधान की उत्पत्ति के पहले अंधकार था और उस अंधकार का मालिक विदेशी था। वह निराकार ब्रह्म की तरह अंधकार पर छाया हुआ था। तब न सूरज था, न चाँद-सितारे थे, न समुद्र था, न आकाश। तब न प्रधानमंत्री थे, न संसद थी, न चुनी हुई नगरपालिकाएँ थी। 15 अगस्त 1947 के बाद ब्रह्मा ने चाहा कि यह सब हो, और वह हो गया।
आज भी भारत का संविधान पंचायतों का कोई उल्लेख नहीं करता, क्योंकि सूबेदार से नीचे शक्ति-केंद्र स्थापित करना हमारी परंपरा के विपरीत है।